Followers

Wednesday, August 12, 2020

कान्हा छेड़ो मुरली की तान (कविता) #krishna poem

#BnmRachnaWorld

#krishnapoem

आज (12 अगस्त 2020) कृष्ण जन्माष्टमी पर मैंने एक ऐसी कविता लिखी है जिसमें कवि श्री कृष्ण को मुरली की ऐसी तान छेड़ने को कह रहा है, जो इस युग में व्याप्त प्रवंचनाओं और विसंगतियों का उद्भेदन कर दे। इसे यूट्यूब चैनल marmagya net के इस लिंक पर सुनें, चैनल को सब्सक्राइब करें, यह बिल्कुल फ्री है।

Link: 

https://youtu.be/Q2FH1E7SLYc












कान्हा छेड़ो मुरली की तान

जिसमे हो रण राग गान।
ऐसी छेड़ो मुरली की तान!

छेड़ो इसलिए कि हम सोए
हैं अपने-अपने दड़बों में।
छेड़ो इसलिए कि बनिताएँ,
सिसकती ब्याघ्र के जबड़ों में।

चीख - पुकारों से गूंज रहा,
गिद्धों से भरा है आसमान।
कान्हा छेड़ो मुरली की तान।

गोपियाँ यहाँ छेड़ी जा रही,
सड़कों पर गुंडों का शासन।
द्रौपदियों का चीर हरण,
अट्टहास कर रहा दुश्शासन।

पुरुष वर्ग धृतराष्ट्र बना,
सो गया उनका स्वाभिमान।
कान्हा छेड़ो मुरली की तान।

यह शहर है खामोश क्यों?
मर गयी एक दीक्षा भाटी ।
भारत माता सिसक रही
लज्जित है धरती की माटी।

अपराधी है यहाँ स्वतंत्र,
तलवारों को खा गया म्यान।
कान्हा छेड़ो मुरली की तान।

हर क्षेत्र बना है कुरुक्षेत्र
सो गया धनुर्धर पार्थ वीर।
पांचजन्य फूंको कृष्णा,
जागो भीम हे महावीर।

इस युद्ध में कौरव न जीते,
रखना माता कुंती का मान।
कान्हा छेड़ो मुरली की तान।

आज फिर ओबैसी, मदनी
दे रहा तुम्हें गाली भर-भर।
सौ की गिनती मत करना तुम
चक्र चलाओ हे गिरिधर।

फुंफकार रहा हो विषधर जब,
फन कुचलो हे शक्तिमान।
कान्हा छेड़ो मुरली की तान।

पाक - चीन सीमा पर जब
ललकार रहा, टंकार करो।
दुश्मन की छाती दहल उठे,
ऐसी प्रलयंकर हुंकार भरो।

जागो किसान, जागो जवान,
रैफेल हुआ अब गतिमान।
कान्हा छेड़ो रण राग गान।
कान्हा छेड़ो मुरली की तान।

©ब्रजेन्द्रनाथ

No comments:

प्रतिलिपि क्रिएटर्स अवार्ड

  परमस्नेही मेरे वृहत परिवार के साहित्य मनीषियों, मुझे आपसे साझा करते हुए अत्यंत हर्ष हो रहा है कि कल 13 अगस्त 25 को भारतीय रजिस्टर्ड डाक द्...