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तुम्हारे झूठ से मुझे प्यार है भाग 2 :
केट के क्रीक से गुजरने
के पहले ही बाला वहाँ आ जाता। केट वहाँ आती, अपनी
साईकिल धीमा करती, रोक कर पार्क
के फेंस से टिकाती। फेंस के पार वह अपने व्हील चेयर पर होता। उससे
वह बातें करती। वह अपने साइक्लिंग के ट्रेनिंग के बारे में बात करती। वह
साइक्लिंग में चैंपियन बनना चाहती है। ओलम्पिक में अपने देश
का प्रतिनिधित्व करना चाहती है। वह अपने देश के लिए गोल्ड
जीतकर लाना चाहती है। वह वर्ल्ड चैंपियन बनना चाहती है। उसके अरमान बहुत ऊँचे
हैं। उसके लिए वह काफी मेहनत कर रही है। पर सबसे पहले उसे कैलिफ़ोर्निया राज्य स्तर के अंडर 19
के चैंपियनशिप में, जो लॉस एंगेल्स में होने वाला था, उसमें
अपनी जगह बनानी थी और प्रथम आना था।
केट से बातें करना उसे
अच्छा लगता। केट अपने बारे में सब कुछ बताती। उसे रफ़्तार वाली जिंदगी
जीने वाले अच्छे लगते। उसमें वह भी एक थी।
केट से वह कहता, "तुम्हारी
रफ़्तार बढ़ती रहे यही मेरी दुआ है।"
इतना कहने के बाद वह
उदास हो जाता। उसकी रफ्तार जो धीमी हो गयी है। वह व्हील चेयर, नहीं-नहीं
आराम कुर्सी पर जो आ गया है।
केट उसे हिम्मत देती, "तुम्हारी शारीरिक रफ्तार धीमी है, तो क्या हुआ? तुम्हारी
मानसिक रफ़्तार को दुनिया जानेगी। मेरी यही दुआ है।"
वह बहुत खुश होता, यह
सुनकर उसे ऊर्जा मिलती। वह
बॉडी माइंड के मोटर फंक्शन्स पर शोध कर रहा था। उसमें
वह नए सिद्धांतों और शोध परिणामों का प्रतिपादन करने वाला था, जो
चौंकाने वाले हो सकते थे। उसे केट से बात करने पर नई ऊर्जा प्राप्त होती। उसे
अपने शोध कार्य में गहरे पैठकर कुछ नई
खोज करने के जज्बे को
बल मिलता। उसका उत्साह दुगना होता जाता था।
गर्मियों का मौसम धीरे- धीरे समाप्त हो रहा था। तापमान में गिरावट शुरू हो गयी थी।
यह मौसम नवम्बर का रहा होगा। कभी- कभी बादल छाते, घने हो जाते और
बूँदें बरसा देते। सड़कें भीँग जाती। ओक के पत्तों से बूँदें सरकतीं, और गुनगुनी ठंढ का अहसास होने लगता। सुबह में हर सड़क के किनारे फुटपाथ पर सैर करने वाले लोग नजर आते। इनमें भारतीय
भी होते। खासकर वे बुजुर्ग जिनके
बच्चे यहां नौकरी में थी। पूरा वातावरण धूल कण - रहित
था। लोग सुबह में टहलते हुए गुजरते तो मुस्कुराते, अभिवादन भी करते। इससे सुबह की अच्छी शुरुआत
हो जाती।
दिसंबर महीने में, क्रिसमस के पहले वाले सप्ताह में ठंढ काफी बढ़ गयी थी। हर सुबह कुहासा छा जाता था। शाम को भी बिजली की
रोशनी होने के बावजूद धुंध छायी रहती। वह अब भी पार्क में आता
था। शाम
को तो बादल छाये रहते, फिर भी वह सूरज के गोले को पश्चिम क्षितिज में गोता
लगाते हुए देखने आता। उधर ही उसकी आँखें केट को खोजतीं। इधर-उधर भटकतीं, इंतजार
में रहतीं। जब उन्हें केट कहीं नजर नहीं आती, तो वे निराश हो जातीं।
एक दिन वह ऐसे ही
इंतज़ार कर रहा था। पार्क के उस पार सड़क पर उसकी नजरें टिकी थीं। अब
केट साईकिल से हवा की तरह आएगी, अपनी साईकिल को पार्क
के फेंस से टिकायेगी। उससे हाथ मिलाएगी, अपनी साईकिल की ट्रेनिंग और बारीकियों को बताएगी। अंत
में उसे चेहरे पर उदासी नहीं लाने की हिदायत देकर अपनी साइकिल उठाएगी, और
चली जाएगी। उसी समय उसे लगेगा कि सूरज ने पश्चिम क्षितिज में गोते लगा दिए हैं।
शाम
अब जल्दी घिर आती थी। धुंधलका छा जाता था। पार्क में इक्के-दुक्के लोग ही दिखते थे। इसीलिये
वह अपनी निगाहें सड़क पर ही टिकाये था।
वह सड़क की ओर, सड़क
का जितना हिस्सा नजर आ रहा था, उसपर ही अपनी नजर टिकाये
था, कि किसी के हाथों का स्पर्श उसके कंधे पर हुआ था। उसने
अपनी गर्दन घुमाई तो उसके आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा। वह
केट थी और अपने हाथ को पीछे कर उसमें कुछ छुपाये थी।
"बताओ, मेरे हाथों में क्या है?" उसके चेहरे पर बाल - सुलभ हास्य तैर रहा था।
“कुछ तो ऐसा जरूर है जो तुम्हारी
जिंदगी की रफ़्तार बढ़ाने वाला है।"
“तुम्हें कैसे मालूम?"
"मेरी प्रार्थनाओं ने असर किया है।"
"तुम बिलकुल सही हो। तुम्हारी प्रार्थनाओं ने असर किया है, इसीलिये
मैं तुम्हें भेंट करना चाहती हूँ।"
उसने पीछे अपनी हाथों
में छुपाई ट्रॉफी सामने लाई थी।
"मैं अंडर 19 कैटेगरी में
स्टेट लेवल की साइक्लिंग चैम्पियन बन गयी हूँ। और
यह तुम्हारी प्रार्थनाओं के कारण हुआ है, इसलिए मैं इसे तुम्हें
भेंट करना चाहती हूँ।"
बाला समझ नहीं पा रहा
था कि वह क्या करे, कैसे अपनी भावनाओं को ब्यक्त करे।
उसने ट्रॉफी उसके हाथ
से ले ली। अपने एक हाथ में ट्रॉफी लिए हुए, दूसरे हाथ से उसका एक
हाथ काफी देर तक थामे रहा। उसके हाथों के स्पर्श
से केट के अंदर की खुशी को महसूस करता रहा।
वह अपने दैन्य भाव को
छुपाना नहीं चाहता था। वह केट के सामने खुल जाना चाहता था।
"केट, इसके बदले में मैं
तुम्हें क्या दूँ? मेरी तो रफ़्तार भी धीमी है।" आज
पहली बार उसे अपने को व्हील चेयर पर होने का दुःख साल रहा था।
उसके होठों पर केट ने
अपनी उंगली रख दी। "तुम चुप ही रहो। अगर
तुम चुप नहीं रहे तो अपने होठों से तुम्हारे होठों पर ताले लगा दूंगी।
और उसने सचमुच ताले लगा
दिए। लम्बी
किस के बाद जब वह उसके चहरे से हटी तो बाला की आँखों में आँसू आ गए। एक
धीमी रफ़्तार जिंदगी जीने वाले से इसतरह बेइंतहा प्रेम करने वाली को मैं क्या
तोहफा दूँ?
"क्या मैं जो सोच रही हूँ, तुम
भी वही सोच रहे हो?"
"मैं तो कुछ नहीं सोच रहा।" बाला
के चहरे पर मासूमियत थी।
"तुम झूठ बोलते हुए भी कितने अच्छे लगते हो!" वह खिलखिलाकर
हँसी थी।
केट ने बाला को एक बार
फिर लम्बे किस्स से होठों को तरबतर कर दिया था।
वह जाने को जैसे ही
मुड़ी थी, बाला ने पूरी आवाज में कहा था, "तुम्हें 4 जनवरी को मैं एक गिफ्ट दूंगा और एक और सच के बारे में बताऊंगा।"
“तुम्हारे एक और झूठ के सच में बदलने का इंतज़ार रहेगा।" वह
बोलती हुयी दूर चली गयी थी।
*****
केट की नजरें आज टी वी
स्क्रीन पर टिकी थी। साइंटिफिक कन्वेंशन शुरू हो चुका था। इसमें बाला सुब्रमण्यम
भी यंग साइंटिस्ट अवार्ड के लिए नामित हुआ था। चीफ
गेस्ट के एड्रेस के बाद शोध पत्रों के बारे में घोषणा होनी थी। कन्वेंशन
के विशिष्ट अतिथि ने लिफाफा जिसपर यंग साइंटिस्ट अवार्ड के लिए चयनित वैज्ञानिक का
नाम लिखा था, खोली थी। उन्होंने घोषणा की थी, "बॉडी माइंड के मोटर फंक्शन पर चौंकाने वाले खोज करने के लिए आज के यंग
साइंटिस्ट अवार्ड के लिए मैं बुलाना चाहता हूँ, बाला
सुब्रमण्यम को।"
सारा हॉल तालियों से
गूँज रहा था। बाला अपनी आराम कुर्सी को खुद चलाते हुए स्टेज पर पहुंचे। उनके
कॉलर में बटन माइक लगा दिया गया। उन्होंने कहना शुरू
किया, "मैं आज एक झूठ से पर्दा उठाना चाहता हूँ। जहाँ
भी तुम सुन रही हो, तुम्हें बतला दूँ, मैं
हर शाम सूर्य के गोले को पश्चिम क्षितिज में गोता लगाते हुए देखने नहीं आता था। मैं
पार्क में, हाँ, इरवाइन के सन डिएगो
क्रीक के सामानांतर गुजरने वाली सड़क के बगल वाले पार्क में, केट मैं तुम्हें साइकिल चलाते हुए सामने से गुजरते
हुए देखने आता था। हेलमेट से बाहर निकलकर हवा में उड़ते
हुए तुम्हारे पोनी टेल को देखने आता था। जब देख लेता तो वापस लौटकर मैं रात भर शोध - ग्रंथों को पढ़ता और नए - नए
प्रयोगों को प्रयोगशाला में करता। केट तुम मेरी शोध की
प्रेरणा हो। मैं अपना यह अवार्ड केट को भेंट करना चाहता हूँ। केट
ने अंडर 19 की साइक्लिंग चैंपियन की ट्रॉफी मुझे भेंट की थी, मैं
यह अवार्ड उसे भेंट करना चाहता हूँ।"
इतने में केट की तस्वीर
को वीडियो द्वारा बड़े स्क्रीन पर ला दिया।
बाला ने उसे देखते हुए फिर
कहा था, "Ket,
you are my inspiration. This award is a gift for you. Please accept it."
स्क्रीन पर केट की
तस्वीर आ रही थी। वह रो रही थी।
उसने
कहा था, "बाला तुम्हारे झूठ से मैं प्यार करती हूँ, करती
रहूंगी। तुम
यह झूठ बार-बार बोलो, मैं सच निकाल लूंगी। सूरज
पश्चिम में गोते नहीं लगाता था। तुम्हें देखते हुए मैं
भी तुम्हें देखना चाहती हूँ। आई लव यु बाला। Be the greatest scientist of the world."
स्क्रीन झिलमिलाता रहा, केट
की ‘किस’ मुद्रा स्क्रीन पर ठहर गयी। नीचे के टेक्स्ट में
लिखा था, "तुम्हारे झूठ से मुझे प्यार है।"
©ब्रजेन्द्रनाथ
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