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पाठकों से मन की बात भाग 2:
अश्लीलता या इंटरटेनमेंट वैल्यू : भाग 2
मैं कथा साहित्य के बारे में चर्चा कर रहा हूँ।
पिछले लेख में मैंने एंटरटेनमेंट वैल्यू के नाम पर परोसी जाने वाली अश्लीलता का उल्लेख किया था। मैंने यह भी लिखा था कि पाठक या दर्शक जो भी चाहता है, उसे ही लिखा जाए क्या? इस दिशा में लेखकों की कोई जिम्मेवारी होती है या नहीं?
उसी बात को आगे बढ़ाते हुए, मैं प्रतिलिपि से जुड़े प्रबुद्ध पाठकों के बारे में और लेखकों के बारे में भी बात करूँगा।
हिंदी पढ़ने वाले पाठक सामान्यतः तीन वर्गों में विभाजित किये जा सकते हैं:
1) पहले खाने में वे पाठक हैं जो सीधी सीधी सरल भाषा में लिखी रचना पसंद करते है। कहानी बढ़ती रहे। हर पंक्ति में कहानी एक दिशा में प्रवाहमान रहे।
2) दूसरे खाने में वे पाठक आते हैं जो कहानी में रोमांच चाहते हैं। हर पल कहानी मोड़ लेती रहे।
3) तीसरे खाने में वे पाठक आते हैं जो कहानी के साथ, उसे कहने का अंदाज, उसमें शिल्प के साथ प्रवाहमयता का निर्वहण और सार्थक संदेश भी ढूढते है।
पहली कैटेगोरी में पाठकों की संख्या सबसे अधिक यानि 50- 60 प्रतिशत होगी । दूसरी में 20-30 प्रतिशत और तीसरी में 19-20 प्रतिशत।
लेखकों के सामने यह चुनौती है कि वे अपनी रचना के कथ्य में शिल्प का ध्यान रखते हुए, कथा में रोमांच के क्षणों को डालते हुए , प्रवाहमयी शैली में पहली कैटेगिरी के पाठकों के स्तर के उत्कर्ष का निरंतर प्रयास करते रहें।
हिंदी के पाठक हैं तो आपसे भी अनुरोध है कि लेखकीय उत्कृष्टता की प्रशंसा अवश्य करें, इससे रचनाकार अनिर्वचनीय उत्साह से भर उठता है। आप अगर प्रेमचंद को पढ़ते हैं, तो उनकी रचनाओं पर ★★ या ★★★ तो नहीं दें। अगर आप ऐसा करते है, तो आपकी अध्ययनशीलता और ग्रहणशीलता पर ही सवाल उठेंगे।
उसी तरह चलताऊ टिप्पणी न देकर सारगार्भित और संजीदा टिप्पणी दें, जो लेखक का भी मार्गदर्शन कर सके।
सादर आभार!
फिर मिलते है, अगले शुक्रवार को एक नई चर्चा के साथ!
©ब्रजेन्द्रनाथ
5 comments:
सादर नमस्कार ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार(4-7-21) को "बच्चों की ऊंगली थामें, कल्पनालोक ले चलें" (चर्चा अंक- 4115) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
--
कामिनी सिन्हा
आदरणीया कामिनी सिन्हा जी, मेरी इस रचना को कल रविवार के चर्चा अंक शामिल करने के लिए हृदय तल से आभार!मंच पर मेरी उपस्थिति अवश्य रहेगी।--ब्रजेंद्रनाथ
बहुत ही सुंदर सराहनीय सर प्रतिलिपि पर आपका अध्ययन और फिर सराहनीय समीक्षा पाठकों का तीन भागो में डिवाइड का उल्लेख विचारणीय है।
सादर नमस्कार।
आदरणीया अनिता सैनी जी, नमस्ते 👏! मेरी इस रचना में व्यक्त विचारों पर आपकी सराहना के शब्द मुझे सृजन के लिए प्रेरित करते रहेंगे! आप पाठकों के साथ संवाद का भाग 1 भी अवश्य पढ़ें। हार्दिक आभार!--ब्रजेंद्रनाथ
बहुत बहुत सुन्दर प्रशंसनीय |
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