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Friday, April 10, 2020

यमराज को कोरोना के लिए पत्र संख्या 1 (हास्य व्यंग्य)

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यमराज को पत्र: (हास्य व्यंग्य)

आदरणीय यमराज जी,
दूर से नमस्ते!
हमसब यहाँ सकुशल नहीं हैं। पर आप तो गैरेज में अपने भैसें के साथ वहाँ कुशलपूर्वक ही होंगे।
आप सोच रहे होंगे कि इसबार के पत्र में मैने आपको दूर से नमस्ते क्यों लिखा? मैंने आपको सादर चरण स्पर्श क्यों नहीं लिखा? आप तो जानते हैं और आप को मालूम ही होगा कि आपके यमदूतों द्वारा धरती पर से आत्माओं को ले जाने की गतिविधि में अचानक इतनी वृद्धि कैसे हो गयी? आपके यमदूतों ने आपको रिपोर्ट दी होगी कि यहाँ एक कोरोना नाम के विषाणु का तेजी से फैलाव हो रहा है। यह स्पर्श से और छींकने, खाँसने से तेजी से फैला है।
मैं धरती पर के एक भारतीय होने के नाते दूसरों का भी ख्याल रखता हूँ। आप को कहीं संक्रमण ना हो जाय, इसीलिए मैंने आपको दूर से ही नमस्ते लिखा है।
परन्तु आपने ये क्या कर दिया है? क्या धरती पर से आप मानव सभ्यता को मिटाना चाहते हैं। मैं देवराज इंद्र और ब्रह्मा के पास नहीं गया हूँ। चाहता हूँ कि समस्या का समाधान आप ही निकाल दें। मैं मानता हूँ कि धरती पर के कुछ सिरफिरे लोग पशु - पक्षियों और समुद्री जीवों का शिकार कर अपनी स्वादेषणा (स्वाद पूर्ति की वृत्ति) की पूर्ति में लगे हुए हैं, जबकि प्रकृति ने वनस्पतियों का अपार भंडार दे रखा है। इस अपराध के लिए आप पूरी मानव जाति को क्यों दंडित कर रहे हैं, प्रभु? जिन्होंने अपराध किया है उन्हें अवश्य दंडित करें। परंतु जो निरपराध हैं, उन्हें किस दण्ड विधान के अंतर्गत आप सजा दे रहे हैं।
मैं एक भारतीय हूँ। आपसे ही मैने देवसंस्कारों को ग्रहण किया है। आपने देखा है कि इस विपत्ति में भी बिना कोई भेदभाव के हमने अन्य देशों के नागरिकों की मदद की है। वे इस विषाणु के फैलाव के केंद्र में फंसे थे, वहाँ से मैंने उन्हें हवाई जहाज द्वारा लाया और उनकी यथासंभव मदद की थी। अभी भी मैंने अपने को आर्थिक शक्ति समझने वाले देशों को दवा पहुँचा कर वहाँ के नागरिकों की सेवा की है। आप ही कहते हैं कि परमार्थ करने से पुण्यफल बढ़ता है। प्रभु इन सारे प्रयासों से अगर हमारे पुण्यफल बढ़े हों, तो वे सारे पुण्य जिन्होंने अपराध किया है उनके अपराधों को क्षमा करने में लगा दें। मानव जाति को इस त्रासदी से त्राण दिला दें प्रभु! एक भारतीय की इस कातर पुकार पर ध्यान दीजिए प्रभु! थोड़े में अपनी समस्या लिखी है। स्वयं विस्तार कर समझ लीजिएगा। सादर!
जन्म जन्म तक आपका हृदय तल से आभारी!
एक भारतीय नागरिक
जमशेदपुर, झारखंड, भारत।

पता:
श्री यमराज,
यमदूत कॉलोनो,
बंगलो नंबर 1,
स्वर्गलोक।

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