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Tuesday, April 14, 2020

जीतेंगे हम शान से (कविता) #coronapoem

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#coronapoem









जीतेंगे हम शान से
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आज मचा जो हाहाकार,
नहीं दुखों का पारावार।
कोरोना के फैलाव से
ठप्प पड़े सब कारोबार।
इन विषम स्थितियों में
भी लगे हुए जी जान से
जीतेंगे हम शान से।

लक्ष्मण रेखा है देहरी
इसका रखेंगे ख्याल।
बाहर कही निकलेंगें
मुख पर रखेंगें रुमाल।
जीवन की रक्षा करेंगे,
हम जीतेंगे जहान से ।
जीतेंगे हम शान से।

बड़े बूढ़ों की सेवा को
अपना लक्ष्य बनाएं ।
उनपर हो ध्यान विशेष
संक्रमण दूर रख पाएँ।
ध्येय हमारा होगा पूरा,
बुजुर्गों के सम्मान से।
जीतेंगे हम शान से।

आसपास में देखें जाकर
छत है जिनका आसमान।
पेट में अन्न का दाना है या
हवा ही है उनका जलपान।
उन्हें जीने का मकसद दें
मुक्त हो वे अपमान से।
जीतेंगे हम शान से।

नए जीवन की नयी शोध है,
नव चिंतन की नयी पौध है,
मन में विचरण नई सोच है,
निरंतर कर रहे नई खोज है।
कोरोना को देंगें मात
हम नए विज्ञान से ।
जीतेंगे हम शान से।

©ब्रजेंद्रनाथ मिश्र

यूट्यूब लिंक:
https://youtu.be/ksYNEz_G_uU

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