#sawanromantic
#romanric
तू है मेरा दिलवर
आनन छुपा करों से,
चौकती हूँ क्षण - क्षण।
आहट पे तेरे पग की
चंचल हुआ है चितवन।
हाथों में सजाए मेंहदी,
प्रतीक्षा करूँ मैं साजन।
आ जाओ सजी धजी हूँ,
सींचित करो ये तन मन।
मेहंदी लगे हाथों को
तेरे हाथों में सौंपती हूँ।
जीवन मेरा है तेरा,
समर्पण मैं करती हूँ।
मेरी सांसों में तेरी ही
अब यादें बसा करेंगीं।
तू ही है मेरा रहबर
तेरे संग चला करूंगी।
जीवन में आएंगे, कभी
पतझड़ कभी बसंत।
मुझे उसकी नही परवाह
अब तू है मेरा कंत।
अगर कभी भी कुछ भी
गलती हो जाएगी।
इशारों में बता तू देना,
मैं खुद संभल जाऊंगी।
मन उचाट हो जाये,
कभी मैं रूठ जाऊँ।
मुझको मना लेना तू,
तेरे पास आ मैं जाऊँ।
मन में बसा लिया है,
दिल में समा लिया है।
अपने नाव की पतवार
तेरे हाथों में दे दिया है।
तुझपे है भरोसा
भगवान से भी ज्यादा।
अंतर में उतर गया तू
भगवान से भी ज्यादा।
मुझे साथ लेके चलना
मेरे प्यार मेरे दिलवर।
हम आगे बढ़ चलेंगें
जब तू है मेरा रहबर।
©ब्रजेंद्रनाथ
आनन छुपा करों से,
चौकती हूँ क्षण - क्षण।
आहट पे तेरे पग की
चंचल हुआ है चितवन।
हाथों में सजाए मेंहदी,
प्रतीक्षा करूँ मैं साजन।
आ जाओ सजी धजी हूँ,
सींचित करो ये तन मन।
मेहंदी लगे हाथों को
तेरे हाथों में सौंपती हूँ।
जीवन मेरा है तेरा,
समर्पण मैं करती हूँ।
मेरी सांसों में तेरी ही
अब यादें बसा करेंगीं।
तू ही है मेरा रहबर
तेरे संग चला करूंगी।
जीवन में आएंगे, कभी
पतझड़ कभी बसंत।
मुझे उसकी नही परवाह
अब तू है मेरा कंत।
अगर कभी भी कुछ भी
गलती हो जाएगी।
इशारों में बता तू देना,
मैं खुद संभल जाऊंगी।
मन उचाट हो जाये,
कभी मैं रूठ जाऊँ।
मुझको मना लेना तू,
तेरे पास आ मैं जाऊँ।
मन में बसा लिया है,
दिल में समा लिया है।
अपने नाव की पतवार
तेरे हाथों में दे दिया है।
तुझपे है भरोसा
भगवान से भी ज्यादा।
अंतर में उतर गया तू
भगवान से भी ज्यादा।
मुझे साथ लेके चलना
मेरे प्यार मेरे दिलवर।
हम आगे बढ़ चलेंगें
जब तू है मेरा रहबर।
©ब्रजेंद्रनाथ
2 comments:
बहुत ही सुंदर समर्पण लिए अभिव्यक्ति
।
सादर
आ अनीता जी, आपके सराहना के शब्द मेरे लिए पारितोषिक की तरह हैं। हृदय तल से आभार!--ब्रजेन्द्रनाथ
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