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एनिमल फार्म नामक नावेल के बारे में
एनिमल फार्म (Animal Farm) अंग्रेज उपन्यासकार जॉर्ज ऑरवेल की कालजयी रचना है। बीसवीं सदी के महान अंग्रेज उपन्यासकार जॉर्ज ऑरवेल ने अपनी इस कालजयी कृति में सुअरों को केन्द्रीय चरित्र बनाकर बोलशेविक क्रांति की विफलता पर करारा व्यंग्य किया था। अपने आकार के लिहाज से लघु उपन्यास की श्रेणी में आनेवाली यह रचना पाठकों के लिए आज भी उतनी ही असरदार है।
जॉर्ज ऑरवेल (1903-1950) के संबंध में खास बात यह है कि उनका जन्म भारत में ही बिहार के मोतिहारी नामक स्थान पर हुआ था। उनके पिता ब्रिटिश राज की भारतीय सिविल सेवा के अधिकारी थे। ऑरवेल का मूल नाम 'एरिक आर्थर ब्लेयर' था। उनके जन्म के साल भर बाद ही उनकी मां उन्हें लेकर इंग्लैण्ड चलीं गयीं थीं, जहां सेवानिवृत्ति के बाद उनके पिता भी चले गए। वहीं पर उनकी शिक्षा हुई।
एनीमल फॉर्म 1944 ई. में लिखा गया। प्रकाशन 1945 में इंग्लैंड में हुआ जिसे तब नॉवेला (लघु उपन्यास) कहा गया, यद्यपि इसकी मूल संरचना एक लंबी कहानी की है। इसके अनुवाद प्रकाशित हुए- फ्रांसीसी भाषा में तो कई-कई!! प्रसिद्ध टाइम मैगजीन ने वर्ष 2005 में एक सर्वेक्षण में 1923-2005 ई. की कालावधि में प्रकाशित 100 सर्वाधिक प्रसिद्ध उपन्यासों में इस उपन्यास की गिनती की और साथ ही 20 वीं शती की माडर्न लाइब्रेरी लिस्ट ऑफ बेस्ट 100 नॉवल्स में इसे 31 वां स्थान दिया।
एनीमल फॉर्म उपन्यास साम्यवादी क्रांति आन्दोलन के इतिहास को दिखाता है। आंदोलन के नेतृत्व में प्रवेश कर गयी स्वार्थपरता, लोभ-मोह तथा बहुत-सी अच्छी बातों से किनारा कर किस प्रकार आदर्शो के स्वप्न-राज्य (यूटोपिया) को खंडित कर सारे सपनों को बिखेर देती है, इसे पशुओं के बाड़े में निवास कर रहे पशुओं के माध्यम से दिखाया गया है। मुक्ति आंदोलन जिस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए किया गया था, सर्वहारा वर्ग को सत्ता हस्तांतरित करने के लिए, उस उद्देश्य से भटक कर वह बहुत त्रासदायी बन जाता है। पशुओं के बाडे का पशुवाद (एनीमलिज्म) वस्तुत: सोवियत रूस के 1910 से 1940 की स्थितियों का फिक्शनल प्रतीकीकरण (सिम्बोलिस्म) है।
कहानी:
मेनर फार्म के जानवर अपने मालिक मि जोंस के खिलाफ बगावत कर देते हैं और शासन अपने हाथ में ले लेते हैं। जानवरों में सूअर सबसे चालाक हैं और इसलिए वे ही इनका नेतृत्व करते हैं। स्नो बॉल नामक सुअर जानवरों की सभा में सुशासन के कुछ नियम तय करते हैं। पंरतु बाद में एक नैपोलियन नाम का जंगली सुअर स्वयं नेतृत्व करना चाहता है। उसे जानवर नहीं चाहते है। वह जंगली कुत्तों को बुलवाता है और स्नोबॉल को भगा देता है। एक विण्ड मिल बनाने का निर्णय स्नोबॉल ने ही लिया था और बनवाया भी था। इसमें बॉक्सर नामक घोड़ा ने बहुत मेहनत किया था। एक बार आँधी में विंड मिल गिर जाता है। नैपोलियन नामक सुअर आदमी का ही रंग-ढंग अपना लेते हैं और अपने फायदे व ऐश के लिए दूसरे जानवरों का शोषण करने लगते हैं। इस क्रम में वे नियमों में मनमाने ढंग से तोड़-मरोड़ भी करते हैं। मसलन नियम था – ALL ANIMALS ARE EQUAL (सभी बराबर हैं) लेकिन उसमें हेराफेरी कर उसे बना दिया जाता है:-ALL ANIMALS ARE EQUAL, BUT SOME ANIMALS ARE MORE EQUAL THAN OTHERS. (सभी जानवर बराबर हैं किन्तु कुछ जानवर अन्य जानवरों से अधिक बराबर हैं) । फ्रेडरिक नामक किसान फार्म को खरीदना चाहता है । वहाँ से वह जानवरों को भगा देना चाहता है। खूब लड़ाई होती है। बॉक्सर नामक घोड़ा घायल हो जाता है। लड़ाई में जानवर जीत जाते हैं। लेकिन फॉर्म की स्थिति जर्जर है। नेपोलियन बॉक्सर को एक कबाड़ी के यहाँ बेच देता है।
निष्कर्ष यह कि सामंतवाद हो या साम्यवाद जानवरों की स्थिति में कोई परिवर्तन नहीं होने वाला है।
©ब्रजेन्द्रनाथ
7 comments:
अंग्रेज उपन्यासकार जॉर्ज ऑरवेल की कालजयी रचना एनिमल फार्म के बारे में सुंदर आलेख, लेखक का परिचय तथा उपन्यास के लेखन काल व उसकी महत्ता के बारे में जानकारी भी सराहनीय है।
आदरणीया अनिता जी, आपको उपन्यास "एनिमल फार्म" पर दी गई मेरी जानकारी उपयोगी लगी, इसके लिए मैं आपका हृदय तक से आभार व्यक्त करता हूँ। --ब्रजेन्द्रनाथ
नॉवेल की संक्षिप्त कहानी और प्रभावशाली सटीक जानकारी ने
आलेख को बहुत सरस और रोचक बना दिया है । आपकी मंजी हुई कुशल लेखनी को नमन!
आदरणीया मीना भारद्वाज जी, आपके उत्साहवर्धक उदगारों से अभिभूत हूँ। आपका हृदय तल से आभार!--ब्रजेन्द्रनाथ
आदरणीया मीना भारद्वाज जी, नमस्ते! मेरी इस रचना को ता 04-09 के चर्चा अंक 3814 के लिए आपने चयनित किया है। आपका बहुत - बहुत आभार!--ब्रजेन्द्रनाथ
सुन्दर समीक्षा
आदरणीय, मेरी रचना पर उत्साहवर्धक टिप्पणी के हार्दिक साधुवाद!--ब्रजेन्द्रनाथ
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