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Friday, December 28, 2018

अखिल भारतीय साहित्य परिषद की विशेष गोष्ठी, 27-12-18

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27-12-2018 की शाम मेरे लिए खास बन गयी जब मैंने हिन्दी साहित्य और हिन्दी काव्य के देदीप्यमान हस्ताक्षर , अखिल भारतीय साहित्य परिषद के संगठन मंत्री आदरणीय डा संजय पंकज जी को अपनी कार में लेकर आदरणीया मन्जू ठाकुर जी के आदित्यपुर एस टाइप मोड़ स्थित निवास स्थान पर अखिल भारतीय साहित्य परिषद की विशेष बैठक सह लिटि पार्टी सह काव्य गोष्ठी के लिये लेकर पहुँचा। वहाँ आ शैलेन्द्र पाण्डेय शैल जी की अध्यक्षता और अभय सावंत तथा हुलास के संस्थापक आ चावला जी की विशिष्ट उपस्थिति रही। आ मन्जू ठाकुर जी के आतिथ्य ने सबों को अभिभूत कर दिया। बैठक में आ डा संजय पंकज जी ने संगठन के उद्देश्यों और आगे के रोड मैप को रेखांकित करते हुए, झारसुगुड़ा में होने वाले सम्मेलन में भाग लेने का आहवान किया। इसी अवसर पर मैने भी अपनी रचना
"एकलव्य कह रहा,,," का पाठ किया। उसकी कुछ पन्क्तियाँ मैं नीचे दे रहा हूँ।
इसी अवसर पर मैने डा संजय पंकज जी को अपनी पुस्तक "डिवाइडर पर कॉलेज जंक्शन" भेंट की। उसी समय की कुछ तस्वीरें यहाँ पर देते हुए मुझे अपार हर्ष हो रहा है।
कविता की कुछ पंक्तियाँ:
मुक्त छन्द--------------------

एकलब्य कह रहा,
अपने गुरु से:
मैं समझता हूँ
उस गुरु की वेदना को,
अंतर्द्वंदों में छलनी होती
टूटते सिद्धान्तों और आचार संहिताओं की
विवशताओं से निर्धारित होती
जीवन यापन की परिकल्पना को।

जिस गुरु को अपनी ही संतान के लिए,
आंटे के घोल को रंग दे सफ़ेद
आभास देना पड़ा हो दुग्धपान के लिए।
जिस गुरु को सर्वश्रेष्ठ धनुर्विद्या में
निष्णात होने के उपरांत भी,
अपनी संतान को पिलाने को दूध,
मांगनी पड़ी हो अपने ही परम मित्र से,
कम - से - कम एक गाय की भिक्षा।
जिसे अपमान का दंश
विवशताओं के विषदंत
के बीच देनी पड़ी हो
परिवार के पालन की घोर परीक्षा।

उस गुरु के दरबारी गुरु
में बदल जाने में बहुत कुछ
भीतर - भीतर मरा है।
बहुत कुछ भीतर- भीतर
मारना पड़ा है।
×××××××××
पूरी कविता इस लिन्क पर पढें
marmagyanet.blogspot.com/2018/09/blog-post.html?m=1




Monday, December 17, 2018

अमेरिका डायरी, 51 वाँ और 52 वाँ दिन(Day 51,52)

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23-08-2018, इरवाइन, यू एस ए में 51 वाँ दिन (Day 51):
इस शहर का इतिहास इस क्षेत्र के "Gold Rush" (सोने के लिये दौड़) से शुरु होता है। विपुल वैभव और अकूत धन की खोज में 1849 ई में आये लोगों ने San Francisco के Banicia में अपना बसेरा बनाया था। उसी समय यहाँ की आबादी 1000 से 25000 हो गयी थी। अकूत अर्थ की चाहत इतनी अधिक थी कि समुद्री जहाजों से आये यात्रियों ने जहाजों को यूँ ही छोड़ दिया और सोने के खान की ओर सोना लूटने दौड़ पड़े थे। इस तरह SFO के बन्दरगाह पर करीब 500 जहाज वीरान छोड़ दिए, जिन्हें बाद में storeships hotel और Saloons के रूप में प्रयोग किया जाने लगा। कई जहाजों के लिये वह स्थान कब्रगाह बन गया। बाद में जब वहाँ पर इमारतें खड़ी करने के लिए खुदाई होती थी, तो उन जहाजों का मलबा वहाँ पड़ा मिलता था। 1870 ई में Yerba Buena Cove क्षेत्र को भरकर, समुद्र के तट पर इमारतों कौ खड़े करने के लिए उस स्थान का नींव के रूप में उपयोग किया गया।
1850 ई में जब कैलिफोर्निया को राज्य का दर्जा प्राप्त हुआ, तब US Golden Gate के दक्षिण में Sea Coast San Francisco Bay कीकी हिफाजत के लिए Fort Point का निर्माण किया गया था। यह किला American Civil War, जो US Army के द्वारा बाहर से आक्रमणकारी जहाजों से Bay Area की सुरक्षा के लिये हुआ था, के ठीक पहले बनकर तैयार हुआ ठा। अभी यह किला एक राश्ट्रीय ऐतिहासिक स्मारक के रूप में संरक्षित है। यहीं पर Golden Gate Recreational Area भी बना हुआ है।
San Francisco Bay की सुरक्षा के लिए समुद्र के बीच एक विशालकाय विस्तृत चट्टान नुमा Alcatrez Island पर भी एक किला बनाया गया।
Nevda राज्य के Comstock Lode में 1859 ई में Eastern Slope of Mount Davidson की ओर सिल्वर अयस्क (चांदी की खान), के मिलने पर यहाँ की आबादी में तेजी से इजाफा हुआ। इसतरह अपनी किस्मत आजमाने और उसे बुलंद बनाने वाले लोगों की बढ़ती भीड़ के कारण कानून ब्यवस्था की स्थितियाँ बिगड़ती चली गयीं। इस तरह शहर का Barbary Coast आपराधिक गतिविधियों, वेश्या और देह ब्यापार तथा जुआ का केन्द्र बन गया। क्रमशः

24-08-2018, इरवाइन, यू एस ए, 52 वाँ दिन (Day 52):
1849 ई में Gold Rush और 1859 ई में Nevda के Mount Davidson के पूर्वी ढलान से नीचे के क्षेत्र में चाँदी की खानों से इस क्षेत्र में जो समृद्धि आयी, उसे उद्योगपतियों ने ब्यापार के लिए नए मौके के रूप में देखा। शुरु के समय में बैंकिंग उद्योग ने इस क्षेत्र में पहलकदमी की। इसतरह Walls Fargo (1852 ई) और Bank of California (1864 ई) की स्थापना हुयी। 1869 ई में San Francisco बन्दरगाह US के रेल का महकमा Pacific Rail Road के बन जाने के बाद, रेल सुविधा से जुड़ने से यह क्षेत्र ब्यवसाय का मुख्य केंद्र बन गया। बढ़ती आबादी की और रुझान के अनुसार Levi Strauss नए एक Dry goods business और Doniango Ghiradalli ने चॉकलेट बनाने के लिये निर्माण केंद्र की स्थापना की।
बाहर से आये कामगारों से इस शहर में मिश्रित भाषी (polyglot) या बहुभाषीय संस्कृति का विकास हुआ। इसी के अन्तर्गत चाइना टाउन क्षेत्र का निर्माण हुआ। आज भी यह क्षेत्र उत्तरी आमेरिका में चाइनीज़ आबादी का सबसे बड़ा क्षेत्र है। 1870 ई तक यहाँ की एशियन आबादी करीब 8% हो गयी थी।
कहा जाता है कि 1893 ई मेँ यहाँ पहला केबल कार, clay street hill को तय करने के लिए सन 1873 ई में चलायी गयी थी। इसे किसने चलाया, इसके बारे में विवाद है, जिसकी चर्चा हम दूसरे दिन के पन्ने पर करेंगें।
उसी समय Victorian Houses जो रानी विक्टोरिया के समय में एक पंक्ति में  बने एक ही तरह के वास्तु के अनुसार बने घर थे, बनने शुरु हुए। आबादी जब बसनी शुरु हुयी तो स्थानीय नेताओं ने एक बड़े पार्क की माँग रखी। इसके बाद ही Golden Gate Park की योजना बनी।
क्रमशः  

Thursday, December 13, 2018

डा कमलकांत लाल से अविस्मरणीय मुलाकात, 13-12-2018

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मित्रों, अपने ब्यस्ततम ब्यवसाय से भी कुछ समय को चुराकर पुस्तकों के प्रति अपने प्रेम, चाहे वह लेखन हो या पठन पाठन बहुत कुछ किया जा सकता है, इसे साबित कर दिखाया है, इसी जमशेद्पुर  शहर के प्रसिद्ध डाक्टर कमल कान्त लाल जी ने।  अपने आकाशदीप प्लाजा, गोलमुरी स्थित क्लिनिक में मरीजों का इलाज भी करते हैं और उसी क्लीनिक से सटे हुए संग्रहनीय साहित्यिक और वैचारिक पुस्तकों की लाइब्रेरी सह बिक्री केंद्र मे वे  मस्तिष्क के खुराक के लिये पुस्तकें भी उपलब्ध करवाते हैं। आज अपराह्न डेढ़ बजे अल्पावधि मुलाकात में ही  उनसे जो आत्मीयता स्थापित हुयी उसे स्थायी बनाने के लिये मैने इसी वर्ष जनवरी में दिल्ली पुस्तक मेले में लोकार्पित अपना उपन्यास " डिवाइडर पर कॉलेज जंक्शन"  उन्हें भेंट की, और उन्होने भी अपना लिखा उपन्यास "अपराध बोध"  मुझे दिया। उसी समय ली गयी सेल्फी साझा करते हुए मैं आहादित हूँ, आनंद विभोर  हूँ। सादर!

Monday, December 10, 2018

''कविता, कल आज कल" के लोकार्पण पर ता ९-१२-१८ को मुख्य वक्ता के रूप में मेरा वक्तब्य

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कविता, कल आज कल के लोकार्पण पर ता ९-१२-१८ को मुख्य वक्ता के रूप में मेरा वक्तब्य

सम्माननीय मंच पर  मौजूद अध्यक्ष श्री श्यामल सुमन जी, मुख्य अतिथि विशिष्ट पत्रकार डी  इस आनंद जी, आदरणीया मंजू ठाकुर जी, मंचस्थ विशिष्ट अतिथि आ ज्योत्सना अस्थाना जी, मंजू ठाकुर सम्मान से सम्मानित शिक्षाविद आ अनीता शर्मा जी, और मुख्य वक्ता के रूप में  मैं, डा आशा गुप्ता, डा मनोज आजीज, आ सीता सिंह जी और मंच संचालिका आ कल्याणी कबीर जी, तथा इस होटल बुलेवर्ड के सभागार में उपस्थित साहित्यान्वेषी बन्धुगण और मातृशक्ति:

तारिख 09-12-2018 को  मुकेश रंजन जी के द्वारा सम्पादित "कविता" पत्रिका के विमोचन और लोकार्पण में मुख्य वक्ता के रूप में मेरा अभिभाषण:
स्थान: बुलेवर्ड होटल, बिस्टुपुर, जमशेदपुर
सम्माननीय मंचस्थ.............

प्रिय मुकेश जी के भागीरथ प्रयत्न से "कविता" पत्रिका का महिला रचनाकारों पर यह विशेषांक आपके हाथों में है| यह पत्रिका पिछले नौ वर्षों से कभी अर्धवार्षिक और अभी वार्षिक रूप में प्रकाशित होकर अपना वजूद बनाये हुए है| किसी भी साहित्यिक पत्रिका की यह यात्रा, विभिन्न अवरोधों, मोड़ों और कुछ तीखे मोड़ों और ठहरावों से होती हुई अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कर रही है, यह मुकेश के अनवरत परिश्रम और उनके सार्ह जुड़ी साहित्यकारों की सम्पादक मण्डल के द्वारा प्रदत्त मार्गदर्शन को जाता है।
मुझे यह पत्रिका मुकेश जी ने एक सप्ताह पूर्व दी थी| मैंने इसके अतिसाधारण आवरण पृष्ठ को देखा| सहसा विशवास ही नहीं हुआ की यह पत्रिका है| मुझे तो यह लघु पुस्तिका जैसी लगी| आवरण की रूप सज्जा की यही सरलता इसे सहज और विशिष्ट बनाती है| इसका  पता मुझे तब  लगा जब मैंने इसके अंदर झांकने का क्रम शुरू किया| अंदर भी कोई तामझाम नहीं, कोई रंगीन तस्वीर नहीं| परन्तु इसके शब्दों और पंक्तियों से गुजरने पर जितने रंग उभरते हैं वो पन्नों के रंगीन बनाने से संभव नहीं थे| मुकेश जी ने अपने सम्पादकीय  वक्तव्य में इसे इंद्रधनुष का आठवां रंग कहा है| विज्ञान के लोग इंद्रधनुष के आठवें रंग की खोज करेंगें, पर साहित्य  की विधा में आठवे रंग की अभिब्यक्ति तो हो ही गयी है| अतिथि सम्पादक आदरणीया कल्याणी जी ने सही कहा है कि इसके पीछे यानि इस पत्रिका के आठवे रंग को उकेरने के पीछे खड़ा है, "मुकेश का बुलंद हौसला, साहित्य से जुड़े रहने की जिद और कुछ अलग करने की ख्याहिश|"
मुझे गुरु नानक जी के जीवन का एक प्रसंग याद आ रहा है:
एक बार गुरु नानकदेव जी अपने कुछ शिष्यों के साथ किसी गाँव में गए| वहाँ उन्होंने उपदेश दिए| गाँव के लोगों ने उनकी खूब आवभगत की| उन्होंने उन्हें आशीर्वाद दिया कि तुम यहीं पर खूब बढ़ो, तरक्की करो|
इसके बाद वे एक दूसरे गाँव में गए| वहाँ के लोगों ने उनकी गुरुवाणी सुनी| उसे जीवन में उतारने का संकल्प लिया| वे उनकी और उनकी मंडली का उतना  सत्कार नहीं कर सके जितना कि पिछले गाँव वालों ने किया था| जब वे वहां से चलने लगे, तो उस गाँव वालों को उन्होंने आशीर्वाद दिया कि तुमलोग बिखर जाओ| अब उनके शिष्यों को चौंकने की बारी थी| उनके एक शिष्य ने उनसे पूछा, "गुरु जी, जिन गाँव वालों ने आपके उद्देश्यों को जीवन में उतारने का संकल्प लिया उसे आपने बिखर जाने का आशीर्वाद दिया जबकि उन गाँव वालों को जिन्होंने आपकी खूब आवभगत की और आपके उपदेशों  पर अमल करने का संकल्प नहीं ब्यक्त किया,  उसे आपने खूब बढ़ने का आशीर्वाद दिया| ऐसा क्यों, गुरूजी?"
गुरुनानक देव जी ने जवाब दिया, "मैंने पहले गाँव वालों को जिन्होंने सिर्फ आवभगत में ही रूचि दिखलाई,  उनको मेरे उपदेशों में कोई रूचि नहीं थी, उससे कोई मतलब नहीं था| उन्हें अपने गाँव में ही रहकर खूब बढ़ने का आशीर्वाद दिया| ऐसे लोगों को एक ही जगह पर सीमित रहना ज्यादा अच्छा है|
दूसरे गाँव वालों को, जो हमारी आवभगत उतनी नहीं कर सके जितनी पहली गाँव वाले ने की थी, परन्तु मेरे उपदेशों को आत्मसात किया और उन्हें अपने जीवन में उतारने का संकल्प लिया, उन्हें  मैंने बिखर जाने का आशीर्वाद दिया, क्योंकि अगर वे मेरे उपदेशों को आचरण में स्थापित करते हुए बिखर जायेंगें यानि फैलेंगे, तो वे मेरे उपदेशों को सारी दुनिया में फैलाएंगे|”
आप सभी रचनाकार अपनी - अपनी सीमा रेखाओं से परे साहित्य  की सुगंध फैलाने के लिए यहां एकत्रित हुए हैं | यह बहुत बड़ी बात है| इसपर  अपनी लिखी कुछ पंक्तियों मैं उद्धृत करना चाहता हूँ:
लताओं पर कलियों को लचकने तो दो,
शाखों पर परिंदों को चहकने तो दो|
आज खुशबुओं को कैद मत करो,
उसे फिजाओं में फैलकर कर महकने तो दो|
कल की कल देखी जाएगी दोस्तों,
आज इस शाम चाहतों को मचलने तो दो|
आप सबों को इस कार्यक्रम के धागे में पिरोकर "कविता"पत्रिका के माध्यम से एक मंच पर लाकर खड़ा किया गया है| इसका श्रेय मुकेश का पूर्वाग्रह होना और सम्पादक मंडल के दिशा निर्देशन को जाता है | "कविता, कल आज कल" में आपका साक्षात्कार जमशेदपुर के सात महिला रचनाकारों और जमशेदपुर के बाहर मुजफ्फरपुर की एक रचनाकार से होगा| इन रचनाकारों की समीक्षा हिंदी साहित्य के लब्धप्रतिष्ठ सख्शियतों  द्वारा की गयी है|
जैसे आ प्रेमलता ठाकुर के रचना संसार पर माधुरी  मिश्रा ने समीक्षा लिखी है| आ पद्मा मिश्रा के साहित्य संसार के  बारे में डा मनोज "आजिज" ने विश्लेषण किया है| आ अनीता शर्मा जी की रचनाओं पर डा कल्याणी कबीर की समीक्षा आयी है| आ अनीता सिंह "रूबी" के बारे में प्र प्रसिद्ध साहित्यविद डा सी भास्कर राव ने लिखा है | आ उमा सिंह "किसलय" के बारे में वीणा पांडेय "भारती" ने अपने उदगार ब्यक्त किये हैंमुजफ्फरपुर की आ मीनाक्षी मीनल और आ सोनी सुगंधा का परिचय प्रिय मुकेश रंजन ने करवाया है| आ सरिता सिंह के साहित्य संसार की समीक्षात्मक प्रस्तुति आ ज्योत्सना अस्थाना ने की है| सारे महिला रचनाकारों की प्रतिनिधि कविताओं को भी इसमें सम्मिलित किया गया है| आप अगर उन कविताओं को पढेंगें तो आपको कहीं रिश्तों की रिमझिम सेतो कहीं रीतेपन से, समाज की विद्रूपताओं से कहीं स्त्री विमर्श के लिए तैयार आगे बढ़ती नारी से, कहीं नए आकाश की और उड़ान भरने को आतुर  नारी सेतो कहीं अपने वजूद को पुन: परिभाषित करती नारी से परिचय पा सकेंगें| जैसे-जैसे आप इन कविताओं में रमते हैं, आप पाते हैं कि ''माँ, मैं जीना चाहती हूँ" की पुकार लगाती नारी "देह, देहरी से  बँधकर दंश" झेलने को तैयार नहीं है, वह लक्ष्मी, इंदिरा, टेरेसा, तस्लीमा और मलाला  युसुफजाई बनकर आसमान छूना चाहती है| इसलिए
"जब विद्या बालन' की देह
संभाल रही होती - 'डर्टी  पिक्चर की कमान'
और दर्शक सीटियाँ मारते नहीं,
सिसकियाँ भरते सिनेमाघरों से बाहर निकलते हैं
तो पहली बार लगता है
औरत का मतलब 'एंटरटेनमेंट' नहीं होता |"
इन कविताओं में बरसाती नदी का उफान नहीं है, एक नीरव बहती धार है| लेकिन इस धार के अंदर उष्मा है, धाह है, गर्मी है| मुझे याद आता है  "बंदिनी" और "आनंद" फ़िल्में देखकर खामोशी से, चुपचाप बाहर आते दर्शक| ये कवितायें भी उसी प्रकार की है| ये  मंचीय कवितायें नहीं कही  जा सकती, जहां कविताओं के शब्दों को तोड़ा और मोड़ा जाता है, ताकि तालियाँ बटोरी जा सके| इन कविताओं से गुजरने के बाद आप कुछ कुछ खामोश हो जाते हैं, अंतर्मुखी हो जाते है, चुपचाप सोचने पर मजबूर हो जाते हैं
अब मैं इसमें कुछ स्वकथन को जोड़ना चाहूँ तो कहूंगा:
'नहीं होता औरत माने 'बोल्ड और बेवाक' रूप में चित्रित या प्रस्तुत किया जाना | इसे सती - विमर्श से नहीं जोड़ा जा सकता| चली आ रही दस्तूरे, रवायतें, दकियानूसीपन ही नहीं होती | अब वह युग फिर आएगा जब हम इंटरनेट पर बिखरे पोर्न में सौंदर्य को न ढूँढ़कर 'कामायनी, उर्वशी और अभिज्ञान शाकुंतलम' में श्रृंगार ढूढ़ेंगें | इसका दायित्व समाज को दिशा देने वाले हम साहित्यकारों पर आ जाता है| समाज की विद्रूपताओं को हमेशा आवरणहीनता से ही जोड़कर नहीं दिखाया जाना चाहिए| यह मशहूर हो जाने एक फार्मूला भले ही लगे, लेकिन यह साहित्य को दिशा देना नहीं कहा जा सकता|

धन्यवाद|



Friday, November 30, 2018

अमेरिका डायरी, 49 वाँ, 50 वाँ दिन ( Day 49, 50)

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21-08-2018, इरवाइन, यू एस ए प्रवास का 49 वाँ दिन ( Day 49),
पिछले दिन की डायरी से San Francisco (SFO) की आर्थिक समृध्दि की संक्षिप्त जानकारी प्राप्त कर लेने के बाद आज हम उसके अतीत में झांकने का प्रयास करेंगें। अभी की आर्थिक समृद्धि के पीछे प्राकृतिक और मानव निर्मित आपदाओं से निरंतर जूझकर सामुहिक प्रायास से फिर खडे होने की कहानी है, इस शहर के आज के चमकते स्वरुप के पीछे का सच!
चलिये इसकी पड़ताल करते हैं:
इस शहर के इतिहास पर नजर डालें, तो पता चलेगा कि जून, 1776 ई में स्पेन से आये उपनिवेशवादियों ने Golden Gate और Mission San Francisco de Asis को मिलाकर Presidio of San Francisco की स्थापना की, जिसे St Francis of Assisi के नाम पर San Francisco नाम दिया गया।
1849 ई में सोने के लिये दौड़ (Gold rush) के दरम्यान इस शहर का तेजी से विकास हुआ। बाद में 1856 ई तक यह अमेरिका के पश्चिम तट का सबसे बड़ा शहर बन गया। पश्चिमी तट के इस शहर का फैलाव 1870 और 1900 ई के बीच में उच्चतम स्तर तक पहुँच गया। उससमय तक कैलिफोर्नीया राज्य की 25% आबादी इसी शहर में निवास करती थी।
1906 ई के भयंकर भूकम्प में इस शहर का तीन चौथाई हिस्सा बर्बाद हो गया था। यहाँ के लोगों और सरकार ने मिलकर इसे पुन: विनिर्मित किया।
इसी के नौ साल बाद यहाँ Panama - Pacific - International exposition का विश्व प्रसिद्ध मेला Dec 4, 1915 ई में लगाया गया। यह पनामा नहर के पूर्ण हो जाने के उपलक्ष में आयोजित किया गया था। यह मेला 636 एकड़ (2.6 km 2) पर, उत्तरी समुद्री किनारे के Presidio और Fort Mason के बीच आयोजित किया गया था। आज यह स्थल Marina District कहलाता है।
दूसरे विश्व युद्ध के दरम्यान यह शहर अमेरिकी सेना और इसके मित्र देशों की सेना के लिये एक बड़े सैन्य बन्दरगाह के रूप में इस्तेमाल हुआ, जो प्रशांत महासागर में स्थित द्वीपों की जापानी सेना से रक्षा और मित्र देश की सेना को विशेष मदद के लिए कारगर सिद्ध हुआ। 1945 ई में यह United Nations Organisation का जन्म स्थान भी बना।
क्रमशः
22-08-2018, इरवाइन, यू एस ए में 50 वाँ दिन (Day 50):
आज हम संक्षेप में इस बात पर गौर करेंगें कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद के उभरते उदारवाद (Liberalism) में अमेरिका के लिये और विश्व के लिए यह शहर एक केंद्र के रूप में कैसे स्थापित होने लगा?
द्वितीय विश्व युद्ध के उपरांत लौटते हुए सैनिकों, बाहरी देशीं से आये लोगों, उदारवादी दृष्टिकोण, यौन उन्मुक्तता आन्दोलन, यू एस ए के वियतनाम की लड़ाई में लम्बी सन्लिप्तता के विरुद्ध खडा होता शान्ति अभियान, भौतिकवादी और शोषणवादी नजरिये से निर्धारित आधुनिकतावाद के विरुद्ध हिप्पी संस्कृति के उदय और समलिंगी आधिकारों की लड़ाई के लिए भी यह शहर मुख्य केंद्र के रूप में उभरकर सामने आया।
राजनीतिक नजरिए की बात की जाय तो यह शहर डेमोक्रैटिक पार्टी के समर्थकों का भी केंद्र साबित हुआ। अर्थात इस शहर के योगदान के मुख्य बिन्दुओं को रेखांकित करें, तो वे होंगें:
1) उदारवाद का उदय
2) शान्ति अभियान (वियतनाम वार के विरुद्ध तैयार होता जनमत)
3) आधुनिकतावाद और बाजारी भौतिकवाद के विरुद्ध उदारवाद और हिप्पी संस्कृति का योगदान
4) समलिंगी आधिकारों (LGBT) की लड़ाई
L - Lesbian, G - Gay, B - Bisexual, T -.Transgender
इन सबों पर जब मैं अमेरिका की सन्सकृति के उद्भव पर चर्चा करूंगा, तब लिखूंगा।
आज यह बताते चलें कि यह शहर सुहावने मौसम के कारण, लम्बे समुद्री किनारे और ऊँचे पहाडों के कारण दुनिया भर के शैलानियों के लिए प्रसिद्ध आकर्षण का केंद्र है। यहाँ गर्मी के मौसम में गुनगुनी ठंढ, कुहासे का लिपटा होना और यहाँ की गगनचुम्बी इमारतों में मिलिजुली संस्कृति की बुनावट के कारण हर ओर के लोगों को यह शहर आकृष्ट करता है।
यहाँ Golden Gate Bridge, Twin peaks, Art gallery, Cable cars, पुरातन Alcatrez Federal Penitentiary (जेल), Fisherman's wharf, China Town, Lombard street आकर्षण के मुख्य केंद्र हैं।
क्रमशः 

Wednesday, November 21, 2018

अमेरिका डायरी, 47 वाँ, 48 वाँ दिन (Day 47, 48):

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19-08-2018, इरवाइन, यू एस ए में 47 वाँ दिन (Day 47):
आइए हर मौसम को मधुमास बनाते चलें।
और हर दिन को कुछ खास बनाते चलें।।
इसी टैग लाईन और थीम के साथ आगे बढ़ते हैं, आज की डायरी के पन्ने पर। बीते हुए कल के आनंद बरसाने वाले दिन को अपनी यादों में बसाये, आज हमलोग सभी रिलैक्स थे। सुबह देर से उठे और हल्के नाश्ते के बाद टीवी पर एक फिल्म देखे। यह तय हुआ कि आज के लंच में यहाँ की बिरियानी के जायके का लुत्फ उठाया जाय। उसके लिए नजदीक में सर्वसुलभ एक रेस्टोरेंट है, "बिरियानी पॉट "। यह रेस्टोरेंट वहीं पर है, जहाँ हमलोग पहले डोमिनॉज का पिज्जा लाने जा चुके हैं। वहाँ बिरियानी पॉट में इन दिनों 20 प्रतिशत डिस्काउंट चल रहा है। यहाँ बिरियानी $15 प्रति प्लेट मिलता है। इसतरह तीन प्लेट का $45 हुआ। 20%डिस्काउंट के बाद $36 हुआ। अभी के exchange रेट 73.311 रु प्रति डॉलर के हिसाब से Rs 2639 हुआ। यानि भारतीय मुद्रा में बिरियानी करीब 880 रु प्रति प्लेट। यह भारतीय मुद्रा के हिसाब से थोड़ा महंगा लगा। जबकि यहाँ डालर में कीमत की दृष्टि से ठीक ही है। पर यहाँ रह रहे भारतीय साफ़ तौर पर कहते हैं कि डॉलर को रुपये में मत परिवर्तित करें, अन्यथा यहाँ आनन्द नहीं उठा पायेंगें।
बिरियानी अच्छी बनी थी। सुस्वादु थी। साफ़-सुथरे कीचेन में बनायी गयी थी। यहाँ पर हर जलपान गृह के रसोई घर की हमेशा जांच होती है। आहार सामग्री की भी जांच होती है। बनायी गयी खाद्य पदार्थ की भी जाँच होती है। मुझे पता चला कि नियत मानकों के उल्लंघन करने पर कोई रियायत नहीं होती। न ही किक बैक मनी (उत्कोच) देकर छूट सकर्ते है। वह ब्यवसायी किसी भी तरह के जलपान गृह के संचालन के लिए ही प्रतिबंधित नहीं किया जाता, वरन किसी भी ब्यवसाय के संचालन के लिए प्रतिबंधित कर दिया जाता है। इसलिए ब्यवसायी नियत मानको से निम्न स्तर की किसी भी तरह के उत्पाद की बिक्री करने की सोच ही नहीं सकते।
शाम को यहाँ के भारतीय समुदाय ने Indian Indipendence Day को सामुहिक रुप में मनाने का कार्यक्रम रखा था। यहाँ से दक्षिण की ओर स्थित एक विद्यालय के कम्युनिटी हॉल में यह कार्यक्रम आयोजित था। कार्यक्रम 4 बजे अपराह्न से ही चल रहा था। हमलोग विलम्ब से 1/Sunny Hill स्थित विद्यालय के प्रांगण में पहुँचे। अंदर कम्युनिटी हॉल में प्रवेश किए, तो कार्यक्रम चल रहा था। करीब 1000 लोग, बालक, युवा, बुजुर्ग सभी एकत्रित थे। बच्चे और जवान लडके और लड़कियाँ कार्यक्रम की प्रस्तुति दे रहे थे।
मंच के एक किनारे पचास सितारों और स्ट्रिप्स वाला USA का ध्वज लहरा रहा था। दूसरे किनारे पर भारतीय तिरंगा लहरा रहा था। भारत के परम्परागत नृत्यों को बच्चों द्वार प्रस्तुत किया गया। इसके बाद महिलाएं भी बॉलीवुड की फिल्मों के गाने की धुन पर नृत्य करती हुयी नजर आयी। कार्यक्रम के अन्त में पहले USA और उसके बाद भारत के राश्ट्रीय गान गाए गए। "भारत माता की जय" और "बन्दे मातरम" के भी नारे लगे। यह कार्यक्रम आकर्षक था। साथ ही भारतीय मूल के निवासियों को एक साथ जोडने के उद्देश्य में सफल होता हुआ नज़र आया। भारतीय समुदाय के लोग दूर देश में एक स्थान पर एकत्र होकर इंडिपेंडेंस डे मनाते हैं, यही बड़ी बात है। मैने वहां की तस्वीरें उतारी जो मैं डायरी के इस पन्ने के साथ पोस्ट कर रहा हूँ।
क्रमशः

20-08-2018, इरवाइन, यू एस ए में 48 वाँ दिन ( Day 48),
मित्रों, आज से हमलोग अमेरिका के सबसे बड़े और खूबसूरत शहरों में से एक San Francisco के बारे में जानने और समझने का प्रयास करेंगें। सबसे पहले San Francisco के बारे में सामान्य जानकारियाँ, उसके बाद उसके इतिहास, भूगोल और वर्तमान स्थितियों के बारे में आगे के दस दिनों तक के पन्ने में चर्चा करेंगें।
San Francisco (SF), उत्तरी अमेरिका का सांस्कृतिक, ब्यवसायिक, और आर्थिक शहर है। यह USA का 13 वाँ और कैलिफ़ोर्निया राज्य का 4 था सबसे बड़ी आबादी वाला शहर है। 2017 ई तक इसकी आबादी 884363 थी। यह करीब 47 वर्गमील (121 वर्ग की मी) क्षेत्र में San Francisco द्वीप का हिस्सा है, जो SF Bay में स्थित अधिकांशतः उत्तरी किनारे की ओर फैला हुआ है। SFO (San Francisco का शार्ट फॉर्म), San Jose - SFO - Oakland Primary Statistcal Area (कई आस पास स्थित नगरों का एकीकृत क्षेत्र), का भी एक हिस्सा है। 2016 ई तक यह USA का 7वाँ सबसे अधिक आय वाला County यानि जिला रहा है। यहाँ की प्रती ब्यक्ति आय $110,418 प्रति वर्ष है। करीब 64000रु प्रतिमाह से भी अधिक। SFO ईस देश का तीसरा सबसे बड़ा आर्थिक केंद्र है, जिसका GDP $878 Billion है। USA के 574 Primary Statistical क्षेत्रों में SJ - SF - O का 2017 के सर्वे के अनुसार सबसे अधिक आय $99,347 प्रति ब्यक्ति है। SFO दुनिया का 8 वाँ और USA का 2 रा बड़ा Global Financial Central Index (2018 ई) वाला शहर है।
(सारे आँकड़ों का श्रोत: वीकीपीडिया)

Friday, November 9, 2018

अमेरिका डायरी यू एस ए में 45 वाँ और 46 वाँ दिन (Day 45, 46)

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17-08-2018, इरवाइन, यू एस ए में 45वाँ दिन (Day 45):
पिछले पन्ने में हमलोग जान पाये कि 1889 तक यह शहर Board of Trustees के द्वारा संचालित होता रहा।
आज उन्हीं पन्नो को आगे पलटते हैं। इसके बाद एक City Charter का मसौदा पुन: तैयार हुआ आज charter जिस रूप में है वह 1931 में मान्य हुआ और लागू हुआ।
San Diego का पुराना शहर Presidio Hill की तलहटी में बसा था। वहाँ अभी Old Town San Diego Historuc Park बना है। यह जगह La Playa के navigable water, यानि नावों के चलाने लायक गहरे पानी से दूर रहने के कारण यह क्षेत्र एक शहर के रूप में विकसित होने लायक नहीं था।
William Heath Davis ने पुराने निवास से कई मील दूर दक्षिण में खाड़ी के तट के पास New San Diego का निर्माण किया। कई दशकों तक यहाँ मात्र एक Pier और कुछ घर, तथा Fort Yuma के संरक्षण के लिये एक Army Depot बना था।
San Diego, San Antonio - San Diego Mail Line का पश्चिमी टर्मिनस था। स्टीम इंजन और रेल खण्ड के आविष्कार के पहले Stagecoaches यानि बग्घी द्वारा, जहाँ निर्धारित दूरी पर घोड़ों को बदल दिया जाता था, से Eastern USA से डाक लाने ले जाने का काम किया जाता था। 1860 में Alonzo Herton ने खाड़ी तट के क्षेत्र में बसने के लिये घर बनाने के लिए प्रश्रय देना शुरु किया। अभी वही हिस्सा शहर का downtown क्षेत्र है। Bay side में जहाजों के आने जाने की सुविधा के कारण नया शहर शीघ्र विजसित होने लगा। लेकिन 1878 के पहले तक यह backwater क्षेत्र की तरह ही रहा। आर्थिक गतिविधियाँ बढ़ती रहीं। 1878 ई में रेल सम्पर्क स्थापित होने पर इसमें काफी विकास हुआ। 1950 ई मन एक बड़ी प्रदर्शिनी का आयोजन हुआ जिसमें इस क्षेत्र के स्पैनिश और मैक्सिकन अतीत को विशेषकर दर्शाया गया था।
Point Loma द्वीप मिलिट्री के इस्तेमाल के लिये 1852 ई में ही अलग कर दिया गया था। US Army के द्वारा वहाँ Coastal Batteries की स्थापना हुयी और इसे Fort Rosecrans नाम दिया गया। 1901 ई से यहाँ नेवी की भी गतिविधियाँ बढ़ा दी गयीं। World war 2 के समय तक Air Force की भी उपस्थिति बढ़ती गयी। ऐसी आशंका थी कि Operation Cherry Blossom at Night के तहत जापान, USA के जिन शहरों को जैविक युद्ध ( Biological War) के लिए निशाना बनाया जाना था, उनमें San Diego शहर भी शामिल था। लेकिन जापान के आत्मसमर्पण कर देने के कारण, यह युद्ध नीति लागू नहीं हुयी और यह शहर बच गया।
क्रमशः

18-08-2018, इरवाइन, यू एस ए में 46 वाँ दिन (Day 46):
आज सुबह से ही San Diego Sea World देखने जाने की तैयारियाँ शुरु हो गयी थी। मैं काफी सवेरे उठ गया था और 9 बजे तक सुन्दर कांड पाठ सहित अपनी पूजा समाप्त कर चुका था। सभी लोग तैयार होने लगे। अन्त में मेरे पोते ऋषभ को तैयार किया गया। पुत्र वधु ने रास्ते में और वहाँ लंच में भी खाने के लिए लिट्टी (सत्तू भरा हुआ) बना ली थी। इसतरह 10:30 बजे ही यहाँ से प्रस्थान कर सके।
San Diego यहाँ से दक्षिण की ओर 120 किलो मीटर की दूरी पर है, जिस ओर निर्धारित गति सीमा के अंदर कार चलाने पर (70 मील प्रति घन्टे), एक घन्टा 10 मिनट में तय किया जा सकता है। हमलोग यहाँ से दक्षिण की ओर ड्राइव करते हुए फ़्री वे नम्बर 5 के साथ बढ़ते रहे। बीच में सप्ताहांत की भीड़ भाड़ के कारण गति कम बेशी होती रही, जिससे हमलोग 2 बजे ही पहुँच सके। वहाँ पहुँचते ही पार्किंग भरे होने के कारण खाली स्थान खोजने में भी समय लगा। कार को यथा स्थान पार्क कर, कुछ लिट्टी खाकर पानी पी लिए। कुछ जल की बोतलें भी रख ली गयीं।
इस पार्क में प्रवेश के लिये दो तरह की टिकटें लगती हैं। एक तत्काल प्रवेश के लिए और दूसरा वार्षिक शुल्क, यानि वर्ष में कई आगमनों के लिए। मेरे लड़के चिन्मय ने वार्षिक प्रवेश के लिए टिकट लिया हुआ था। इसलिए मेरी और पत्नी जी के दो टिकटें ऑनलाइन ली गयीं। हमलोगों ने पहचान पत्र के रूप में अपने-अपने पासपोर्ट ले लिए थे। शुरु की औपचारिकतायें पूरी कर हमलोग सी वर्ल्ड के अंदर प्रवेश किए। यह पूरा पार्क मुख्यत: समुद्री जीव जन्तुओं को थीम के रूप में लेकर बनाया गया है। यहाँ बच्चों और बड़ों के लिये जॉय राइड भी है।
हमलोग सबसे पहले डॉल्फिन शो में गए। वहाँ सामने स्टेज पर ट्रेनर लड़कियाँ थी और डॉल्फिन जल में तैर रहे थे। शो शुरु होने के पहले घोषणा हुयी कि अमेरिकी सेना या अमेरिका की अलाइड देशों की सेना से आये लोग या उनके परिवार के लोग खड़े हो जाँय। सारी उपस्थित जनता से उनको सम्मानित करने के लिए तालियाँ बजाकर उनका स्वागत करने का अनुरोध किया गया। तालियाँ बजती रहीं। यह एक नई परम्परा जैसी लगी, जिसका अनुकरण हमारे यहाँ भी होना चाहिए। तालियाँ बजती रही और गूंजती रही। यह सैनिकों और उनके परिवार के लिये लोगों के लिये आम नागरिक के जज्बे का सशक्त इजहार था।
डॉल्फिन के द्वारा दिखाये जाने वाले करतब का शो शुरु हुआ। डॉल्फिन जल में तैरता हुआ आता, स्टेज पर की लडकियों द्वारा उनकी ओर फेंका गया भोजन मुंह में ही हवा में छलांग लगाते हुए दबोचता और तैरते हुए ही दूसरी ओर निकल जाता। इसी तरह जल में तैरता हुआ कभी नाचता, कभी उछलता, कभी जल दर्शकों के तरफ फेंकता। कभी दो-तीन डॉल्फिन एक साथ संगीत की धुन पर समूह नृत्य करते हुए नजर आते। अदभुत दृश्य था। यह शो करीब 45 मिनट तक चला। इस खुले थियेटर के सारे लोग, इस सुन्दर और अकल्पनीय परिदृश्य में आनन्द विभोर होकर बाहर निकल रहे थे।
इसके बाद हमलोग सी लायन (Sea Lion) शो में गए। वहां समुद्री सिन्घों की संख्या तीन थी। उन्होने बॉल को अपने मुँह की नोक पर संतुलित कर कई करतब दिखाये। यह भी अदभुत नजारा था। यह शो भी करीब 35 मिनट चला। मेरे ग्रैंड सन ने इसमें काफी आनन्द लिया। उसके घूमने के लिये हमलोगों ने घर से ही स्टॉलर कार में रख लिया था। उसमें वह बैठता और उसे एक जगह से दूसरी जगह तक ले जाते। हर स्थान पर स्टॉलर लगाने की जगह बनायी हुई थी। स्टॉलर की पार्किंग निशुल्क थी।
इसके बाद हमलोगों ने एक स्थान पर लंच लिया। जल पिया। लेकिन यहाँ पर लगा कि जल की बड़ी बोतल सथ रख लेनी चाहिए थी। यहाँ गर्मी थी। धूप भी तेज थी। पर पसीने वाली गर्मी नहीं थी। जल की 1 लीटर की बोतल भी 10 डालर यानि 710 रु में मिल रही थी। लंच कर लेने के पश्चात हमलोग whale के शो में गए। बड़ी-सी whale जल में तैरते हुए अपनी पूँछ से इतना जल उछालती थी कि आगे की दीर्घा की दस पंक्तियों में लोग नहा जाते थे। यहाँ इस खुली गैलरी में भी दर्शाया हुआ था कि कहाँ तक wet zone है। यानि whale द्वारा जल राशि के उछाले जाने पर कहाँ तक भींग जाने की सम्भावना है। अभी तो गर्मी है, इसलिए भीन्गने का आनन्द उठाया जा सकता है। लेकिन शायद सर्दियों के मौसम में लोगों को इसका खयाल रखना जरूरी हो जाता हो। मेरे पोते के भींगने पर उसका वस्त्र परिवर्तन जरूरी हो जाता है, इसीलिए हमलोगों ने वेट जोन के बाहर ही बैठकर इस शो का आनंद लेना उचित समझा।
इसके पश्चात हमलोग एक ऐसे शो के लिये लम्बी लाईन में लगने के बाद पहुँचे, जिसमें जिश्म को सीट बेल्ट से बांधकर बैठना पड़ा। जैसे ही शो शुरु हुआ, कि जिस सतह के आधार पर हमारी सीट स्थिर थी, वही फ्लोर हिलने लगा। समाने बड़े से पर्दे पर बर्फ के पहाड़ का दृश्य दौड़ रहा था। ऐसा महसूस हो रहा था कि हमलोग हेलिकोप्टर पर बैठे हैं और वही हेलिकोप्टर बर्फीली घाटियों और पहाड़ों बचते-बचाते गुजर रहा है। यह अनुभव काफी रोमांचक रहा। वहाँ से निकालने के बाद पानी के अंदर सफेद शार्क को घूमते हुए देखे। एक ऐसे शीशे के बड़े से आगार में भरे जल में सफेद शार्क तैर रहा है। शीशे के अंदर की जल की सतह हमारी उँचाई से अधिक थी। इसतरह लगता था कि हमलोग पानी के अंदर शार्क को देख रहे है और छू भी रहे है। बस हमारे और शार्क के बीच में एक पारदर्शी शीशे का आवरण था। अद्भूत नजारा था, रोमांच से भरा हुआ।
यह सब देखते हुए, रात घिर आयी। रात को जब निकल रहे थे, तो एक जगह म्यूज़िक और डान्स का शो हौ रहा था। वहाँ घुसकर ऋषभ ने भी नाचना और कूदना शुरु कर दिया। वह नचाता ही जा रहा था, कि वक्त का पता ही नही चला और आधे घन्टे से अधिक बीत गए। वह नाचता रहा, कूदता रहा और अन्य बच्चों के साथ उधम मचाता रहा। बाहर निकलने का नाम ही नहीं ले रहा था। बड़ी मुश्किल से किसी तरह उसे बाहर निकाला गया, तब कहीं हमलोग वापसी की यात्रा रात्रि 8:30 बजे शुरु कर पाये। यहाँ घर तक इरवाइन पहुँचते हुए 10:30 बजे रात हौ गयी। क्रमश:!

Saturday, November 3, 2018

अमेरिका डायरी, यू एस ए में 43 वाँ और 44 वाँ दिन (Day 43, 44)

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15-08-2018, इरवाइन, यू एस ए, 43 वाँ दिन (Day 43):
मित्रों, आज से हमलोग यू एस ए के राज्य कैलिफोर्निया के एक प्रमुख शहर San Diego के बारे में जानने की कोशिश करते हैं।
यह सही है कि अमेरिका की खोज कोलम्बस ने 1492 ई में की थी। लेकिन पहले वह Bahamas Island पर उतारा था। उसके बाद यू एस ए के पूर्वी किनारे की खोज की।
यू एस ए के पश्चिमी किनारे पर पहली बार स्पैनिश यात्री Juan Rodriguez Cabrillo आये थे। वे संभवत: इस तट पर आने वाले पहले यूरोपीय थे। San Diego Bay पर उतरकर उन्होने स्पेन के लिये उस क्षेत्र को अधिकार में किया। यही क्षेत्र 200 वर्षों बाद में Alta California या Upper California बना, जो New Spain के नाम से स्पेन राज्य का हिस्सा हो गया। इसीलिए San Diego को California राज्य का जन्मस्थान कहा जाता है।
2017 ई तक इस शहर की आबादी 14,19,516 हो गयी थी। इसतरह यह अमेरिका का आठवाँ सबसे बड़ा शहर बन गया। कैलिफ़ोर्निया राज्य का दूसरा सबसे बड़ा शहर है। यह प्रशांत महासागर के San Diego Bay के किनारे स्थित सागर के तट पर बसा एक शहर है। इसकी सीमा मैक्सिको देश की सीमा को छूती है। अगर यू एस ए के बोर्डरिंग डिस्ट्रिक्ट की बात की जाय, तो Detroit-Windsor, जिसकी आबादी 49,22,723 है, के बाद San Diego दूसरा सबसे बड़ा शहर है। पूरे वर्ष मध्यम तापमान वाला, प्राकृतिक गहरे जल वाले बन्दरगाह के इस शहर का सम्बंध यू एस नेवी के बेस के रूप में रहा है। आजकल Biotechnology के विकास के केंद्र के रूप में इसे जाना जाता है।
यह शहर San Diego County का प्रशासनिक केंद्र है। यह इस क्षेत्र का मुख्य आर्थिक केंद्र है। साथ ही San Diego-Tijuana Metropolitaक्षेत्र का भी केंद्र है। San Diego की आर्थिक गतिविधियों में सेना सम्बन्धी, पर्यटन सम्बन्धी, अंतरराष्ट्रीय ब्यापार और उत्पादन सम्बन्धी गतिविधियों का मुख्य केंद्र रहा है। University of California, San डिएगो की UCSD मैडिकल सेन्टर से सम्बद्धता, ने इसे bio टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में शोध के मुख्य केंद्र के रूप में विकसित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इसके इतिहास के बारे में अगले पन्ने मे छानबीन करने की कोशिश करते हैं।

16-08-2018, इरवाइन, यू एस ए में 44 वाँ दिन (Day 44):
यू एस ए, कैलिफ़ोर्निया राज्य के प्रमुख शहर San Diego के इतिहास में झाँकते हुए तीन भागों में विभक्त किया जा सकता है:
Pre Colonial Period (Before 1761)
Spanish Period (1761-1821)
Maxican Period (1821-1848)
American Period to Modern Day (1848 -present day):
स्पैनिश खोजी यात्रियों के आने से पहले यहाँ के निवासियों को San Dieguito, La Jolla People कहा जाता था। San Diego क्षेत्र में Kumeyaay people ही रहते आये थे। ये ही यहाँ के मूलवासी थे। इन्हें पहले kamia कहा जाता था। ये लोग सुदूर दक्षिण-पश्चिम यू एस ए और उत्तर-पश्चिमी मैक्सिको में रहते आये हैं। ये कैलिफ़ोर्निया और मैक्सिको देश के Baja California में रहते हैं।
मैं पहले बता चुका हूँ कि San Rodriguez Cabrillo, 1542 ई में यहाँ आने वाले पहले यूरोपीय और स्पैनिश यात्री थे। इसे New Spain कहकर स्पेन का हिस्सा बनाया गया। 1602 ई के नवम्बर में Sebestian Vizcaino, California के तट का नक्शा निर्धारित करने के लिए San Diego नामक जहाज से आये। उन्होने अभी के Mission Bay और Point Loma का सर्वे किया और इसे Catholic Saint Didacus के नाम से San Diego रख दिया। 1602 ई के बाद क्रिश्चियन मिशनरियों ने Mission San Diego की स्थापना की। इसके पूर्ण उपनिवेशीकरण के लिए 1769 ई में चार दल यहाँ आये, जिसमें सैनिक और इंजीनियर भी थे। इसतरह Gasper दे Portola यहाँ के गोवेर्नर नियुक्त हुए और Junipero Serra यहाँ के मिशन के प्रमुख हुए। 1769 ई में Portola ने Fort Presidio of San Diego की स्थापना की, जो आज भी एक ऐतिहासिक लैंडमार्क है।
1821 ई में Maxico ने स्पैनिश साम्राज्य से आजादी प्राप्त की। इसतरह San Diego Maxican क्षेत्र के Alta California का हिस्सा बन गया। Pesidio Hill का किला धीरे-धीरे छोड़ दिया गया। San Diego शहर उसी Hill के नीचे विकसित हुआ। Maxican सरकार ने मिशन द्वारा प्राप्त जमीन को पूर्व सैनिकों को दे दिया। परंतु San Diego की आबादी निरंतर घटती चली गयी।
अमेरिका ने इस क्षेत्र की जानकारी हासिल करनी शुरु की। 1804 ई में Richard Henry Dana के यात्रा वृतांत पर आधारित पुस्तक 'Two years Before the Mast' और William Shaler के 'Journal of Voyage Between China and the North- Western Coast of America ' के वृतांत से पुख्ता और ठोस जानकारी प्राप्त की।
इसके बाद ही 1846 ई में USA ने Maxico से युद्ध किया। 1848 ई के Treaty of Guadalupe Hidalgo के अनुसार मैक्सिको के काफी प्रयास के बाद भी अमेरिकियों ने San Diego पर अपना दावा नहीं छोड़ा। इसलिए शहर सहित San Diego Bay का पूर हिस्सा USA के अधिकार क्षेत्र में आ गया।
1850 ई में California यू एस ए का हिस्सा बना। उसी वर्ष San Diego नवनिर्मित San Diego County का मुख्य शहर बन गया। Joshua H Bean वहाँ के पहले Mayor निर्वाचित हुए। दो वर्षों बाद यह शहर दिवालिया हौ गया। California Legislature को भंग कर दिया गया और इसे Trustee के एक Board of Control के तहत 1889 ई तक रखा गया।
क्रमशः 

Saturday, October 27, 2018

अमेरिका डायरी, इरवाइन, यू एस ए में 41 वाँ और 42 वाँ दिन (Day 41, 42)

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13-08-2018, इरवाइन, यू एस ए में 41 वाँ दिन (Day 41):
आज के दिन हमलोग Orange County Great (baloon) Park गए। वहाँ संतरों के बागीचे को नजदीक से देखने की इच्छा की तृप्ति हो गयी। मैने OC Great Park की चर्चा पहले भी की थी। यह पार्क काफी दूर तक फैला हुआ है। इसके दूसरे किनारे पर एक फ़ार्म है, जो सरकार द्वारा संचालित शोध संस्थान के लिये प्रयुक्त होता है। वहाँ गिरे हुए, बिखरे, फैले हुए संतरों को देखना नया अनुभव जैसा था।
आज सुबह हैदराबाद से अपने बेटे के पास आये N Bikhupati से मिलने का मौका मिला। पिछले सप्ताह उनके लड़के की कार को एक मोड़ पर किसी दूसरी कार ने पीछे से टक्कर मार दी थी। उनका कार तो क्षतिग्रस्त हो गया, लेकिन कोई खास चोट नहीं आयी थी। यहाँ के इन्स्योरेंस के नियमों के अनुसार क्षतिग्रस्त कार, इन्स्योरेंस वाले ले गए। उसके बदले तबतक के लिये उन्हें दूसरी कार दे दी गई थी, जबतक उनकी अपनी कार रेपेयर कर मिल नहीं जाती है। इन्स्योरेंस कम्पनी ही सारा खर्च वहन करती है। जिस कार ने उन्हें ठोका था, उसे कोई गोरी लड़की चला रही थी। वह मोबाइल पर कुछ मैसेज पढ़ रही थी, इतने में शायद अचानक सिग्नल पर गाड़ियाँ खड़ी दिखी थी और उसने पीछे से ठोक दिया। वह लड़की दुर्घटना के समय में काफी घबरायी हुयी थी। यह सब उनके लड़के से उनके घर पर जाकर मिलने से और बात करने से पता चला।
श्री भिखुपति जी काफी मिलनसार हैं। उन्होने यहाँ के सारे भारतीय मूल के वरिष्ट नागरिकों को, जो अपने बच्चों के पास आये हुए हैं, उन्हें एक साथ जोड़ने और मिलाने का कार्य किया है। उनके लड़के एक अच्छे फोटोग्राफर भी हैं। आज उनके घर पर हमलोग 1:00 बजे तक थे। उनके लड़के ने हमारी तस्वीरें भी उतारी। इसतरह आज के दिन को भी खास बनाने में हम सफल रहे। क्रमशः !

14-08-2018, इरवाइन, यू एस ए में 42 वाँ दिन (Day 42):
आज के दिन को खास बनाने के लिये मैने कुछ खास नहीं किया। कैसे खास बनाया जाय, इसपर सोच विचार कर ही रहा था कि दोपहर बीत गयी।
सोचते -सोचते मेरा ध्यान अमेरिका के इमिग्रेशन नियमों को कड़ा करने पर और उसके इम्पैक्ट पर गया। भारत की आई टी सर्विस देने वाली जो कंपनियाँ यहाँ पर काम कर रही हैं, उनपर अमेरिकन को बहाल करने का दबाव है। अगर वे अमेरिकन नागरिक को बहाल करते हैं, तो उन्हें उन पदों और जिम्मेवारियों के लिये एक भारतीय टेकनिशियन की अपेक्षा दूगना देना पड़ता है। साथ ही वे यहाँ के नियमों के अनुसार एक सप्ताह की अग्रिम सूचना पर दूसरी कम्पनी में जा सकते हैं। इसतरह उनका कम्पनी में स्थायित्व पर प्रश्न चिन्ह हमेशा लगा रहता है। अगर वे किसी भारतीय टेकनोलोजिस्ट को बहाल करते हैं, तो उन्हें वेतन कम देना पड़ता है। लेकिन उनके वर्किंग वीसा के समय को बढ़ाये जाने पर हमेशा संशय बना होता है। इसतरह भारतीय आई टी कम्पनियों को यहाँ उन्मुक्त होकर, कुशलतापूर्वक काम करने में दिक्कतें पेश आ रही हैं।
यही सब विचार करते हुए दोपहर का समय बीत गया। शाम को पार्क की ओर घूमने निकले। पार्क में एक इण्डियन जैसे ब्यक्ति दिखे। उनको नमस्ते कहा। उनसे मैने ही पूछा, "आप कहाँ से आये हैं?" उन्होने कहा, "कोलकता से।" मैने तपाक से पूछा, "मैं भी जमशेदपुर से आया हूँ।" फिर उनसे बातों का सिलसिला चल पड़ा। वे अपनी बेटी के यहाँ आये हुए हैं। उनके दामाद एक शोधार्थी हैं। पिछले काई वर्षों से वे यहाँ रह रहे हैं। मेरी पत्नी भी उनकी पत्नी से काफी देर बातें करती रहीं। इसतरह आज का दिन भी कुछ विशेष बन ही गया।
क्रमशः 

Tuesday, October 23, 2018

अमेरिका डायरी, इरवाइन, यू एस ए में 39 वाँ और 40 वाँ दिन (Day 39, 40)

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11-08-2018, इरवाइन, यू एस ए में 39 वाँ दिन (Day 39):
हमलोग सुबह पास के बड़े पार्क की ओर गए। वहाँ लडकियों का फुटबॉल मैच चल रहा था। लौटते हुए हमलोग एक अच्छी सोसायटी के अंदर की सड़क से होते हुए आये। ये सारे घर बन्गलानुमा थे जिसमें दो कारों के लिये गैरेज बना हुआ था।
आज नाश्ते के बाद तैयार होकर साढ़े बारह बजे हमलोग लॉस एंजेल्स के लिये प्रस्थान किए। लॉस एंजेल्स यहाँ से 55 मील (88 कि मी) है। पहले विचार था कि Griffith Observatory चला जाय और वहाँ से पहाड़ पर Hollywood साइन वाला नजारा देखा जाय। लेकिन इसके बाद विचार किया गया कि क्यों नहीं Hollywood hills और Hollywood Lake साइट पर ही चला जाय, ताकि Hollywood वाला साइन नजदीक से साफ़-साफ़ सुस्पष्ट रूप में देखा जाय।
चौड़ी-चौड़ी, साफ़ सुथरी सड़कों से होते हुए हमलोग करीब 3 बजे Hollywood Hills पर पहुँच गए। कार को उतना ऊपर तक ले गए जहाँ पर जाकर कार पार्क की जगह मिली। उपर में कार पार्किग की विशेष ब्यवस्था का अभाव दिखा। कार पार्किंग के लिये सड़क के समानांतर ही पार्किंग करनी पड़ी। पैदल ही सड़क से होते हुए थोड़ी और ऊपर तक चढ़ाई करनी पड़ी, जहाँ से HOLLYWOOD का चिन्ह साफ़-साफ़ दिखता था। वहाँ रास्ते में Maxico Cactus भी दिखे, जिसकी तस्वीर मैने उतारी । इस Cactus का जिक्र मैने लॉस एंजेल्स और Hollywood के इतिहास का वर्णन करते हुए किया था।
HOLLYWOOD साइन का भी एक इतिहास है। यह एक तरह से अभी के अमेरिका का एक मार्क बन गया है। यह LA में स्थित एक साँस्कृतिक और मनोरंजन से जुड़े उद्योग का प्रतीक बन गया है। यह प्रतीक चिन्ह लॉस एंजेल्स के Santa Monica Mountain Range में स्थित Hollywood Hills क्षेत्र के Mount Lee पर बना हुआ है।
यह चिन्ह 44 फीट(13.4 m), लम्बे आकार के सफेद इंग्लिश के Capital Letters में 352 फीट(103.3m), लम्बे स्थान में लिखा हुआ है। यह चिन्ह मूलरूप मेन 1923 ई में बना था, जिसे स्थानीय real estate के विकास के विज्ञापन के लिए बनाया गया था। लेकिन इसके बढ़ते खर्च के कारण इसे छोड़ दिया गया था। यह चिन्ह कई बार तोड़-फोड़ और उधम मचाने वालों द्वारा खंडित किए जाने हेतु इसे निशाना बनाया गया। परंतु इसे पुन: स्थापित किया गया। इन्हीं सब कारणों से इसके लिए एक सुरक्षा उपाय का भी निर्माण किया गया। अभी यह चिन्ह Hollywood Sign Trust द्वारा संरक्षित और सुरक्षित किया जाता है। यह स्थल, जहाँ पर यह साइन बना है, वहां पर की और अन्य चारो तरफ की जमीन भी Griffith पार्क के अधिकार क्षेत्र में आता है।
नीचे से देखने पर पहाड़ी के उतार-चढ़ाव पर स्थापित अक्षर तरंगनुमा नजर आते है। अगर उन्हें उसी उँचाई से देखें तो सभी अक्षर एक ही सीध में खड़े लगेंगे। Establishing shots (जिसका वर्णन हम Irvine Spectrum केज वर्णन के सिलसिले में कर चुके हैं) में अक्सर इस चिन्ह का प्रयोग किया जाता है।
हमलोग वहाँ जितना नज़दीक जा सकते थे, उतना नजदीक पहुँचकर तस्वीरें लीं। वहाँ पर शैलानियों के लिए सुविधा की कमी दिखी जो अमेरिका की संस्कृति से मेल नहीं खाती है। वहाँ नजदीक में रेस्ट रुम की सुविधा का अभाव दिखा। शायद अमेरिकी सरकार नहीं चाहती हो कि इस स्थान पर भीड़भाड़ बढ़े।
क्रमश:
12-08-2018, इरवाइन, यू एस ए में 40 वाँ दिन (Day 40):
मित्रो, आज के दिन को कैसे खास बनाया जाय? इस पर मैने विचार किया तो एक विचार मन में आया कि क्यों नहीं पिछले दिनों की चर्चा को आगे बढ़ाते हुए "HOLLYWOOD" के चिन्ह के इतिहास पर पुन: दृष्टि डाली जाय।
हमने देखा कि 1923 ई में मूलत: इसे "HOLLYWOODLAND" के नाम से विकसित और प्रचारित किया गया था। इसका मूल उद्देश्य लॉस एंजेल्स के Hollywood District (तालुका) की पहाड़ियों पर गृह निर्माण और विकास की योजना का विज्ञापन करना था। 'हालीवुड के पिता के रूप में जाने गए H J Whitley ने एक चिन्ह का उपयोग अपने रियल इस्टेट के ब्यवसाय 'Whitley Height', जो Highland Avenue और Vine Street के बीच स्थित था, के लिये किया था। इसलिए उसने अपने दोस्त Hary Chandler, जो Los Angles Times अखबार के मालिक भी थे, को एक ऐसे ही चिन्ह का निर्माण अपनी जमीन और उसके विकास के ब्यवसाय के विज्ञापन के लिये करने का सुझाव दिया। रियल इस्टेट के ब्यवसाय में लगे Woodruff और Shoults ने अपने डेवलपर के इस ब्यवसाय को "HOLLYWOODLAND" कहा और इसे "बहुत अच्छे वातावरण में बिना अधिक के Hollywood Hill में उपलब्ध जमीन और मकान" के रूप में विज्ञापित किया।
उन्होंने Crescent Sign Company को इस 13 अक्षर वाले शब्द को पहाड़ी पर स्थापित करने के लिए अनुबंधित किया। इस चिन्ह बनाने वाली कम्पनी के मालिक Thomas Fisk Goff (1890-1984) ने इस चिन्ह का डिज़ाइन तैयार किया। हर अक्षर 30 फीट(9 .1m) चौड़ा और 50 फीट (15.2m) उँचा था। पूर प्रतीक चिन्ह 4000 छोटे बल्बों से भरा गया था। इसतरह इन शब्दों के अक्षरों को "HOLLY", "WOOD" और "LAND" के समूहों में अलग-अलग प्रकाशित होता था। Hollywoodland Sign के ठीक नीचे एक सर्च लाईट था, जो लोगों का ध्यान आकृष्ट करने के लिये प्रकाशित होता था। इस चिन्ह को आधार स्तम्भ देने के लिए खम्भों को उस स्थान पर खच्चरों द्वारा पहुँचाया गया था। इस पूरी योजना पर उससमय 2100 डॉलर खर्च आया था। यह अभी के समय में $3300,000 के बराबर है।
इस प्रतीक चिन्ह को अधिकारिक तौर पर 1923 ई में भेंट किया गाया था। यह मूलत: डेढ़ साल तक ही चलने के लिये बनाया गया था। लेकिन लॉस एंजेल्स में अमेरिकन सिनेमा के उत्कर्ष के बाद, अमेरिकन सिनेमा के स्वर्ण युग में अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर यह चिन्ह अमेरिकन सिनेमा की पहचान बन गया। क्रमशः

Thursday, October 18, 2018

उजाला दे दूंगी (लघु कथा)

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आज विजयादशमी है। बुराई पर अच्छाई के विजय का उत्सव आज मनाते हैं और यह संकल्प लेते हैं कि बुराईयों के
महिषासुर को सर उठाने के पहले ही खत्म कर देंगें। इसमें हम अपनी मानवीय संवेदनाओं को अक्षुण्ण रखेंगें।
मेरी लिखी एक लघु कथा, जो विशेष इसी अवसर के लिये लिखी गयी है, आप पढ़ें और बतायें कैसी लगी?

"माँ, आज साहब के बंगले में इतनी भीड क्यों है?" रोहित बाबु के बंगले के आउट हाउस में अपनी माँ के साथ रहने वाली छोटी बच्ची रानी ने अपनी माँ अहिल्या से पूछा था।
अहिल्या जानती थी कि साहब के यहां नवरात्र में दुर्गा जी की पूजा होती है। आज उसी की पूर्णाहुति पर कुंवारी कन्याओं को भोजन कराया जाता है। उसके बाद दक्षिणा के रूप में उपहार भी दिया जता है।
"वहां माँ दुर्गा जी की पूजा हो रही है।"
"उससे क्या होता है?"
"उससे दुर्गा जी सद्बुद्धि देती हैं। और सद्बुद्धि से जीवन में उजाला आ जाता है। उसके प्रकाश में जीवन जीने से कोई भय नहीं होता है।"
"माँ, हम भी दुर्गा जी की पूजा क्यों नहीं करते?"
"करती हूं न। जहां दुर्गा जी की पूजा होती है, वहां की सफाई तो मैं ही रोज करती हूं। हमारी यही पूजा है।"
"तो फिर कन्या को बुलाकर खिला भी देंगे और दक्षिणा भी देंगें।"
"मैं तो रोज खिलाती हुँ कन्या को।"
"मैने तो किसी को आते हुये नहीं देखा।"
"तुम जो मेरी कन्या हो।"
"तुम दक्षिणा क्या दोगी?"
"मैं दुर्गा जी के पूजा स्थल की सफाई करते हुये पूजा करती रहती हुँ, वहां से ... "
"हां, तो वहां से दक्षिणा लायेगी क्या?
"हां, वहीं से सद्बुद्धि का उजाला लेकर तुम्हें उसमें से थोड़ा सा उजाला दे दूंगी।"
"तुम्हारी यही बात मेरी समझ में नही आती।"
अहिल्या अपनी रानी को गले लगा लेती है।

Wednesday, October 17, 2018

अमेरिका डायरी यू एस ए में 37 वाँ, और 38 वाँ दिन ( Day 37, 38)

#BnmRachnaWorld
#americatourdiary 




09-08-2018, इरवाइन, यू एस ए में 37 वाँ दिन (Day 37):
मित्रों, दो दिनों के बाद हमलोग लॉस एंजेल्स (LA), में Hollywood Hills, जहाँ Hollywood का मशहूर चिन्ह स्थित है, देखने जाना है। आज कुछ विशेष कहने के लिये नहीं है, इसलिए मैने सोचा है कि उसी की चर्चा की जाय।
Hollywood का नाम कैसे पड़ा, उसके बारे में मैने 12-07-2018 की अपनी अमेरिका डायरी के पन्ने में लिखा था। उसे मैं पुन: उदधृत करना चाहता हूँ। 1886 ई में H J Whitley, जो हालिवुड के पिता कहलाते हैं, की डायरी में एक वाकया इस तरह लिखा हुआ था, "1886 ई में जब मैं इस पहाड़ी पर अपना हनीमून मनाने आया हूँ तो मैने एक चाइनीज़ मूल के ब्यक्ति को वैगन में लकड़ी ले जाते देखा। उससे मैने पूछा, 'क्या कर रहे हो?' उसने अपनी टूटी-फूटी अंग्रेजी में कहा, 'I holly-wood " मतलब था, मैं wood यानि लकड़ी को haul यानि ले जा रहा हूँ। यहीं से मैने इस पहाड़ और शहर का नाम Hollywood रख दिया, जो बाद में रजिस्टर्ड हो गया।" उसी हालिवुड की चर्चा आगे बढ़ाते हुए कुछ और बातों पर बात करेंगें।
Hollywood, US Film Induatry के केन्द्रीय स्थल के रूप में विकसित हुआ। यह क्षेत्र Cahuenga Valley का हिस्सा है, जो Santa Ana Mountains के उत्तर में स्थित है। 1912 ई तक बड़ी मोशन पिक्चर कम्पनियों ने लॉस एंजेल्स शहर में या उसके समीप में अपना प्रोडक्सन केंद्र स्थापित कर लिया था। 1900 ई के आसपास चलचित्रों के पेटेंट Thomas Edison के न्यू जर्सी स्थित Motion Picture Parent Comoany के अधीन थे। फिल्म निर्माण करने वाले इस कम्पनी के अनुबंध के तहत अक्सर निर्माण रोकने पर, इस कम्पनी के साथ न्यायिक प्रक्रिया में उलझा करते थे। उससे निजात पाने के लिए फिल्म निर्माणकर्ता, पश्चिम अमेरिका की तरफ रुख करना शुरु कर दिए, क्योंकि यहाँ एडिसन के पेटेंट नियम लागू नहीं होते थे। साथ ही इस क्षेत्र में मौसम खुशगवार था, जिससे फिल्म निर्माण के सेटों का निर्माण करना , स्थापित करना और उसे लम्बे समय तक कायम रखना आसान हो जाता था।
डायरेक्टर D W Griffith शायद हालिवुड में चलचित्र बनाने वाले पहले निर्माणकर्ता थे। उन्होने Biograph Comoany के लिये 17 मिनट की एक लघु फिल्म तैयार की थी, जिसका नाम था, "In Old California " (1910 ई)। Biograph Comoany शायद यू एस की पहली कम्पनी थी, जो हालिवुड में फिल्म निर्माण और प्रदर्शन कार्य दो दशक तक (1916 तक) करती रही। इस कम्पनी के मशहूर निर्देशक D W Griffith, और अभिनेताओं Mary Pickford, Lillian Gish, Linel Barrymore को जन्म दिया और मशहूर बनाया।
क्रमशः

10-08-2018, इरवाइन, यू एस ए में 38 वाँ दिन (Day 38):
हलाँकि Hollywood में मूवी थियेटर (चलचित्र प्रदर्शन स्थल) पर उस वर्ष 1910 ई में प्रतिबंध लगा दिया गया था, परंतु जब लॉस एंजेल्स ने उसका अधिग्रहण कर लिया, तब Nestor Motion Pictures Company द्वार Hollywood में किसी स्टुडियो द्वारा Oct 26, 1911 में शूट की गयी पहली फिल्म का निर्माण किया गया। Hollywood के पिता के रूप में मशहूर H J Whitley के घर को सेट के रूप में प्रयोग किया गया। Whitley Avenue और Hollywood Boulevard के मध्य में इस अनाम फिल्म का निर्माण किया गया था।
अक्टूबर 1911 में New Jersey की Centaur Co ने redhouse (यात्रियों की सुविधा के लिये बनाया गया घर) के पास Sunset Boulevard से लगे हुए पहली Hollywood स्टुडियो का निर्माण किया। इसके बाद 1920 ई तक Paramount, Warner Bros, RKO और Columbia Pictures ने अपने-अपने स्टुडियो सेट अप कर लिए थे। उससमय तक Hollywood देश का पाँचवाँ सबसे बड़ा उद्योग बन गया था।
1930 ई तक Hollywood में स्टुडियो पूरी तरह एकीकृत निर्माण, प्रदर्शन और वितरण को नियन्त्रित करने वाली कम्पनियों का मुख्य स्थान बन गया था। वहाँ 600 से अधिक फिल्मों का निर्माण प्रति वर्ष होने लगा था। इसतरह यहाँ की चमक -दमक के कारण Hollywood का नाम Tinseltown या "ड्रीम फैक्ट्री" के रूप में विख्यात हो गया था। Hollywood यू एस ए का सबसे बड़ा फिल्म निर्माण का केंद्र बन गया।
क्रमशः 

माता हमको वर दे (कविता)

 #BnmRachnaWorld #Durgamakavita #दुर्गामाँकविता माता हमको वर दे   माता हमको वर दे । नयी ऊर्जा से भर दे ।   हम हैं बालक शरण तुम्हारे, हम अ...