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अमेरिका यात्रा, 07-09 मई, (वीसा का दिन)
पूर्वाभास 07-09 मई
अमेरिका यात्रा के लिये मेरी तैयारी मेरे और मेरी पत्नी के वीसा के लिये आवेदन करने के साथ ही शुरु हो गयी थी। हमलोगों ने वीसा के लिये दिल्ली को चुना। इसके लिये निर्धारित शुल्क अमेरिका में रहने वाले मेरे लडके ने ही जमा कर दिया था। 7 मई को नेहरु प्लेस मैट्रो के पास ही इंटरनेशनल प्लाजा या अमेरिकन ट्रेड सेन्टर में हमलोगों का फोटोग्राफ और बायो मेट्रिक्स, यानि उंगलियों के निशान और चेहरे की बिना चश्मा लगाये हुये तस्वीर ली गयी। यहां जाने के पूर्व ड़ी एस 12 फॉर्म की प्रिंट कापी और आपका पासपोर्ट के लिये निर्धारित फोटोग्राफ साथ में होना जरूरी था।
यहाँ हाल में प्रवेश के पहले मोबाईल, पर्स में किसी तरह का क्वायन, बेल्ट आदि अलग रखवा लिया गया था। ध्यान इसपर था कि बायोमेट्रिक्स के लिये निर्धारित हाल में प्रवेश करने वाले लोगों के पास मोबाइल, कैमरा या मेटल डिटेक्टर से पकड़ में आने वाली कोई भी चीज नहीं हो। सिस्टम बहुत ही साफ, सरल और त्रुटिविहीन ढंग से कार्य कर रहा था।
इसके बाद 9 मई को हमलोगों को वीसा साक्षात्कार के लिये चाणक्यपुरी स्थित अमेरिकन एम्बैसी जाना हुआ। समय 11 बजे का दिया गया था। इस समय का स्लॉट इसलिये लिया गया था कि सुबह तैयार होकर, सारे पत्रों-प्रपत्रों को अरेंज करना और पत्नी को तैयार होने के लिये समुचित समय देना, इन सबों में समय तो लगेगा ही। प्रपत्रों को एक साथ करके रखने का कार्य पिछले कई दिनों से चल रहा था। इसमें मुख्यतः ड़ी एस 12 फॉर्म में भरी गयी जानकारियों को स्थापित करने वाले सारे प्रपत्र रहने जरूरी थे। उनमें मेरी शिक्षा के रिकॉर्ड के सारे डोकुमेंट के मूल प्रमाण पत्र और उनकी प्रतिलिपि, मेरे सर्विस बुक , मेरे नाम कोई जमीन या घर के होने के प्रमाण के मूल प्रमाण पत्र और उसकी प्रतिलिपि और एक फैमिली का फोटोग्राफ जिसमें आप जिसके पास जा रहे हों, उसकी और आपकी और आपकी पत्नी, जिनके साथ आपकी तस्वीर जरूर हो।
इसके अतिरिक्त आप जिसके पास जा रहे हों, उसका पासपोर्ट और वीसा, अगर वह नौकरी में है, तो उसका सैलरी स्टेटमेन्ट की दो कॉपी प्रिंटआउट ले लेना अच्छा रहता है।
इन सारे प्रपत्रों को मैने रात में ही ब्यवस्थ्ति करके, हर प्रपत्र पर स्टिकर लगकर उपर में लिख भी दिया था, ताकि वहाँ पर अगर दिखाने की जरूरत पड़ी, तो यह सब निकालने में आसानी हो।
अपनी तैयारी के लिये, आप अमेरिका अगर पहली बार जा रहे हों, तो आपको यह मालूम होना चाहिये कि आप कहाँ रहेंगे और कितने समय तक रहेन्गें। साथ ही आपके परिवार के अन्य लोग अगर यहाँ भारत में हैं और आपकी प्रॉपर्टी भी यहाँ है, तो अपके भारत वापस लौटने के उपयुक्त, यथेष्ट और पर्याप्त प्रमाण हैं।
B1 वीसा, जो बिसिनेस और टुरिस्म वीसा कहलाता है, उसे देने में वीसा अधिकारी यही सुनिश्चीत करना चाहते हैं कि आप वापस अपने देश अवश्य लौट जायेंगें।
हमलोग ने समय पर पहुंचने के लिये कैब लेकर वीसा इंटरव्यू के लिये चाणक्यपूरी स्थित अमेरिकन एम्बस्सी जाने की अपेक्षा मैट्रो से ही जाना बेहतर समझा। वैशाली से ही लोक कल्याण मार्ग का टिकट लिया। मैं, मेरी पत्नी, नाती ओजेश और बेटी करुणा सभी वैशाली से मैट्रो द्वारा रजीव चौक उतर गये। वहाँ से येलो लाईन मैट्रो पकड़ कर लोक कल्याण मार्ग स्टेशन उतार गये। वहाँ से हमलोगों ने औटौ लिया और चाणक्यपुरी स्थित अमेरिकन एम्बैसी करीब 10 बजकर 15 मिनट तक पहुंच गये।
मैने और मेरी पत्नी ने अपने मोबाइल, पैसे, पर्स, वालेट आदि सबकुछ करुणा को रखने के लिये दे दिया। वे लोग बाहर रह गये। हमलोग डोकुमेंट के साथ पहले चेक पॉइन्ट पर पहुंचे। वहाँ सुरक्षा जाँच के पश्चात करीब 200 कदम चलने के बाद एक दरवाजे से अन्दर गये। वहाँ पचास से अधिक लोग पन्क्तिबद्ध थे।
हमलोग कतार में लग गये। जाते हुये एक और सुरक्षा जांच के उपरान्त पास्स्पोर्ट पर फोटोग्राफ के समय चिपकाये गये बार कोड को मैच कराया गया। आगे बढते गये। एक ऐसे हाल में पहुंचे, जहाँ करीब बीसियो खिड़कियों पर वीसा साक्षात्कार लिया जा रहा था। यहाँ साक्षात्कार लेने वाले अमरीकन दूतावास के ही अधिकारी थे।
पद्धतियाँ यहां भी साफ, सरल और त्रुटिविहीन लगीं। हमें खिडकी संख्या 12 आबंटित किया गया। उसपर किसी का साक्षात्कार जारी था, इसलिये हमे खिडकी के सामने 10 फीट की दूरी पर खींची गयी पीली रेखा के पास खड़ा रहने के लिये कहा गया। चार-पांच मिनट बाद खिडकी पर खडे बन्दे का साक्षात्कार जब समाप्त हो गया, तो मैं और मेरी पत्नी खिडकी पर पहुँचे। मन में कई सवाल उठ रहे थे। उधेड बुन, ऊहापोह की स्थिति के साथ ऐसे समय में जो सबसे बडा नकारात्मक विचार आता रहता है, वह है कि अगर वीसा साक्षात्कार में विफल रहे तो क्या होगा? तो होगा क्या? फिर आवेदन किया जायगा। अगर दोनों में से किसी एक का ही वीसा अनुमोदित हुआ, तो क्या होगा? मन एक कोने में इस ड़र का प्रति उत्तर मन के दूसरे कोने से आया। अगर एक का वीसा अनुमोदित हुआ तो दूसरे के लिये पुनः आवेदन दिया जायेगा।
इसी तरह के सारे उहपोहों से उमडते घुमडते मन लिये हुये, और धड़कते हुए दिल लिये हुये खिडकी पर पहुन्चे। खिड़की के उस पार एक गोरी महिला अधिकारी उपस्थित थी। मैने अपना और पत्त्नी का पासपोर्ट खिडकी के ठीक नीचे बने खाँचे से सरका दिया। उन्होने कुछ सीधे और सरल प्रश्न मुझसे पूछे। मसलन:
आप क्यों जा रहे हैं? किस वीसा के लिये आपने आवेदन किया है? आपकी फेमिली के अन्य लोग कहाँ है?
इस प्रश्न में महिला द्वारा अन्ग्रेजी में पूछे गये प्रश्न का अमेरिकन ऐकसेण्ट कुछ ऐसा था कि मेरी समझ में नहीं आने के कारण, मैने आई बेग यौर पार्डन जब कई बार बोला, तो उन अधिकारी ने एक हिन्दी दुभाषिये को बुलाया। इसके बाद तो सारे प्रश्नों का मैने और भी आसानी से जवाब दे दिया।
इसमे मुख्य प्रश्न थे: आप का अमेरिका कौन रहता है? किस वीसा पर वहां रहते हैं? वे किस पते पर रहते हैं?
इन प्रश्नों के उत्तर से संतुष्ट होने के बाद उन्होने कहा, आपका वीसा ग्रांट हो गया है। मैं आप दोनों का पास्स्पोर्ट रख रही हूँ। इसके कलेक्सन सेन्टर से आप दो दिनों के बाद पासपोर्ट ले लीजियेगा। पत्नी से कोई प्रश्न नहीं पूछा गया। इसतरह हमलोगों का वीसा स्वीकृत हो गया। दो दिनों के बाद हमलोगों ने नेहरु प्लेस के अमेरिकन प्लाजा से अपना वीसा stamping किया हुआ पासपोर्ट प्राप्त कर लिया।
क्रमशः
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अमेरिका यात्रा, 07-09 मई, (वीसा का दिन)
पूर्वाभास 07-09 मई
अमेरिका यात्रा के लिये मेरी तैयारी मेरे और मेरी पत्नी के वीसा के लिये आवेदन करने के साथ ही शुरु हो गयी थी। हमलोगों ने वीसा के लिये दिल्ली को चुना। इसके लिये निर्धारित शुल्क अमेरिका में रहने वाले मेरे लडके ने ही जमा कर दिया था। 7 मई को नेहरु प्लेस मैट्रो के पास ही इंटरनेशनल प्लाजा या अमेरिकन ट्रेड सेन्टर में हमलोगों का फोटोग्राफ और बायो मेट्रिक्स, यानि उंगलियों के निशान और चेहरे की बिना चश्मा लगाये हुये तस्वीर ली गयी। यहां जाने के पूर्व ड़ी एस 12 फॉर्म की प्रिंट कापी और आपका पासपोर्ट के लिये निर्धारित फोटोग्राफ साथ में होना जरूरी था।
यहाँ हाल में प्रवेश के पहले मोबाईल, पर्स में किसी तरह का क्वायन, बेल्ट आदि अलग रखवा लिया गया था। ध्यान इसपर था कि बायोमेट्रिक्स के लिये निर्धारित हाल में प्रवेश करने वाले लोगों के पास मोबाइल, कैमरा या मेटल डिटेक्टर से पकड़ में आने वाली कोई भी चीज नहीं हो। सिस्टम बहुत ही साफ, सरल और त्रुटिविहीन ढंग से कार्य कर रहा था।
इसके बाद 9 मई को हमलोगों को वीसा साक्षात्कार के लिये चाणक्यपुरी स्थित अमेरिकन एम्बैसी जाना हुआ। समय 11 बजे का दिया गया था। इस समय का स्लॉट इसलिये लिया गया था कि सुबह तैयार होकर, सारे पत्रों-प्रपत्रों को अरेंज करना और पत्नी को तैयार होने के लिये समुचित समय देना, इन सबों में समय तो लगेगा ही। प्रपत्रों को एक साथ करके रखने का कार्य पिछले कई दिनों से चल रहा था। इसमें मुख्यतः ड़ी एस 12 फॉर्म में भरी गयी जानकारियों को स्थापित करने वाले सारे प्रपत्र रहने जरूरी थे। उनमें मेरी शिक्षा के रिकॉर्ड के सारे डोकुमेंट के मूल प्रमाण पत्र और उनकी प्रतिलिपि, मेरे सर्विस बुक , मेरे नाम कोई जमीन या घर के होने के प्रमाण के मूल प्रमाण पत्र और उसकी प्रतिलिपि और एक फैमिली का फोटोग्राफ जिसमें आप जिसके पास जा रहे हों, उसकी और आपकी और आपकी पत्नी, जिनके साथ आपकी तस्वीर जरूर हो।
इसके अतिरिक्त आप जिसके पास जा रहे हों, उसका पासपोर्ट और वीसा, अगर वह नौकरी में है, तो उसका सैलरी स्टेटमेन्ट की दो कॉपी प्रिंटआउट ले लेना अच्छा रहता है।
इन सारे प्रपत्रों को मैने रात में ही ब्यवस्थ्ति करके, हर प्रपत्र पर स्टिकर लगकर उपर में लिख भी दिया था, ताकि वहाँ पर अगर दिखाने की जरूरत पड़ी, तो यह सब निकालने में आसानी हो।
अपनी तैयारी के लिये, आप अमेरिका अगर पहली बार जा रहे हों, तो आपको यह मालूम होना चाहिये कि आप कहाँ रहेंगे और कितने समय तक रहेन्गें। साथ ही आपके परिवार के अन्य लोग अगर यहाँ भारत में हैं और आपकी प्रॉपर्टी भी यहाँ है, तो अपके भारत वापस लौटने के उपयुक्त, यथेष्ट और पर्याप्त प्रमाण हैं।
B1 वीसा, जो बिसिनेस और टुरिस्म वीसा कहलाता है, उसे देने में वीसा अधिकारी यही सुनिश्चीत करना चाहते हैं कि आप वापस अपने देश अवश्य लौट जायेंगें।
हमलोग ने समय पर पहुंचने के लिये कैब लेकर वीसा इंटरव्यू के लिये चाणक्यपूरी स्थित अमेरिकन एम्बस्सी जाने की अपेक्षा मैट्रो से ही जाना बेहतर समझा। वैशाली से ही लोक कल्याण मार्ग का टिकट लिया। मैं, मेरी पत्नी, नाती ओजेश और बेटी करुणा सभी वैशाली से मैट्रो द्वारा रजीव चौक उतर गये। वहाँ से येलो लाईन मैट्रो पकड़ कर लोक कल्याण मार्ग स्टेशन उतार गये। वहाँ से हमलोगों ने औटौ लिया और चाणक्यपुरी स्थित अमेरिकन एम्बैसी करीब 10 बजकर 15 मिनट तक पहुंच गये।
मैने और मेरी पत्नी ने अपने मोबाइल, पैसे, पर्स, वालेट आदि सबकुछ करुणा को रखने के लिये दे दिया। वे लोग बाहर रह गये। हमलोग डोकुमेंट के साथ पहले चेक पॉइन्ट पर पहुंचे। वहाँ सुरक्षा जाँच के पश्चात करीब 200 कदम चलने के बाद एक दरवाजे से अन्दर गये। वहाँ पचास से अधिक लोग पन्क्तिबद्ध थे।
हमलोग कतार में लग गये। जाते हुये एक और सुरक्षा जांच के उपरान्त पास्स्पोर्ट पर फोटोग्राफ के समय चिपकाये गये बार कोड को मैच कराया गया। आगे बढते गये। एक ऐसे हाल में पहुंचे, जहाँ करीब बीसियो खिड़कियों पर वीसा साक्षात्कार लिया जा रहा था। यहाँ साक्षात्कार लेने वाले अमरीकन दूतावास के ही अधिकारी थे।
पद्धतियाँ यहां भी साफ, सरल और त्रुटिविहीन लगीं। हमें खिडकी संख्या 12 आबंटित किया गया। उसपर किसी का साक्षात्कार जारी था, इसलिये हमे खिडकी के सामने 10 फीट की दूरी पर खींची गयी पीली रेखा के पास खड़ा रहने के लिये कहा गया। चार-पांच मिनट बाद खिडकी पर खडे बन्दे का साक्षात्कार जब समाप्त हो गया, तो मैं और मेरी पत्नी खिडकी पर पहुँचे। मन में कई सवाल उठ रहे थे। उधेड बुन, ऊहापोह की स्थिति के साथ ऐसे समय में जो सबसे बडा नकारात्मक विचार आता रहता है, वह है कि अगर वीसा साक्षात्कार में विफल रहे तो क्या होगा? तो होगा क्या? फिर आवेदन किया जायगा। अगर दोनों में से किसी एक का ही वीसा अनुमोदित हुआ, तो क्या होगा? मन एक कोने में इस ड़र का प्रति उत्तर मन के दूसरे कोने से आया। अगर एक का वीसा अनुमोदित हुआ तो दूसरे के लिये पुनः आवेदन दिया जायेगा।
इसी तरह के सारे उहपोहों से उमडते घुमडते मन लिये हुये, और धड़कते हुए दिल लिये हुये खिडकी पर पहुन्चे। खिड़की के उस पार एक गोरी महिला अधिकारी उपस्थित थी। मैने अपना और पत्त्नी का पासपोर्ट खिडकी के ठीक नीचे बने खाँचे से सरका दिया। उन्होने कुछ सीधे और सरल प्रश्न मुझसे पूछे। मसलन:
आप क्यों जा रहे हैं? किस वीसा के लिये आपने आवेदन किया है? आपकी फेमिली के अन्य लोग कहाँ है?
इस प्रश्न में महिला द्वारा अन्ग्रेजी में पूछे गये प्रश्न का अमेरिकन ऐकसेण्ट कुछ ऐसा था कि मेरी समझ में नहीं आने के कारण, मैने आई बेग यौर पार्डन जब कई बार बोला, तो उन अधिकारी ने एक हिन्दी दुभाषिये को बुलाया। इसके बाद तो सारे प्रश्नों का मैने और भी आसानी से जवाब दे दिया।
इसमे मुख्य प्रश्न थे: आप का अमेरिका कौन रहता है? किस वीसा पर वहां रहते हैं? वे किस पते पर रहते हैं?
इन प्रश्नों के उत्तर से संतुष्ट होने के बाद उन्होने कहा, आपका वीसा ग्रांट हो गया है। मैं आप दोनों का पास्स्पोर्ट रख रही हूँ। इसके कलेक्सन सेन्टर से आप दो दिनों के बाद पासपोर्ट ले लीजियेगा। पत्नी से कोई प्रश्न नहीं पूछा गया। इसतरह हमलोगों का वीसा स्वीकृत हो गया। दो दिनों के बाद हमलोगों ने नेहरु प्लेस के अमेरिकन प्लाजा से अपना वीसा stamping किया हुआ पासपोर्ट प्राप्त कर लिया।
क्रमशः
1 comment:
आपके इस वर्णन से अमेरिकन वीसा लेने वाले को सारे स्टेप का पूर्ण विवरण प्राप्त हो सकता है। सार्थक वर्णन!
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