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Tuesday, July 31, 2018

अमेरिका डायरी 07-07-2018 (यु एस ए ंंमें चौथा दिन, Day 4)

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07-07-2018, शनिवार, इरवाइन में (यु एस ए में चौथा दिन):
आज सुबह से ही मेरी पुत्रवधु मेहमानों के लिये स्वादिष्ट और लजीज़ ब्यन्जन बनाने में जुटी है। मेनू में चॉवमीन, पूड़ी, छोले आदि तो बने ही थे। साथ में सॉफ़्ट ड्रिंक की भी ब्यवस्था थी।शाम को घर पर ही जन्मदिन मनाने का निर्णय ले लिया गया था। उसके अनुसार स्थल के परिवर्तन से सम्बन्धित सूचनाएं सारे आगन्तुकों को भेज दी गयी थी।
हमलोग 6 बजे शाम को करीब 5 किलोमीटर पर स्थित माल कोस्तिको से केक लाने के लिये निकले। वहां पहुंचे तो देखा कि माल बन्द हो रहा है। तब याद आया कि आज शनिवार होने के कारण माल 6 बजे शाम को ही बंद हो जाता है। तब प्रबन्धक से जाकर मेरे लडके ने बात की। अन्दर जाकर उसने केक की डिलीवरी ली। हमलोग वापस डेरे पर चले आये।
सभी लोग तैयार हुये। मेरी पुत्रवधु ने रिषभ, जिसका जन्मदिन है, उसे तैयार किया, खुद भी तैयार हुयी। मेरी पत्नी भी तैयार हुयी। हमलोग सभी सात बजे तक तैयार हो गये थे।
क्या आप जानते हैं कि बच्चों का जन्मदिन मनाना क्यों जरूरी है? जब बच्चा जन्म लेता है तो साथ - साथ एक माँ, एक पिता का भी जन्म होता है। और उसी के साथ जिम्मेदारियों के अहसास का जन्म होता है। जिम्मेदारियों में यह भी जिम्मेदारी निहित होती है कि आप अपने बच्चे को खूब प्यार दें, सारी खुशियाँ दें, साथ ही साथ आप जब भी कहीं बच्चों को देखें, तो उनमें भी अपने बच्चे का अक्स अगर देखते हैं, तो आपकी जिम्मेदारियों का विस्तार होता है और आप एक जिम्मेदार माता-पिता से जिम्मेदार नागरिक में तब्दील हो जाते है, जो बड़ी समाजिक जिम्मेदारी निभाने के लिए अपने को तैयार कर रहा होता है। यह एक पूरा सृजन का दर्शन है, जो आत्मिक से होता हुआ सार्वभौम सन्सकृति का निर्माण करता है। उसी से जुडते हुये आज मैं भी अपने दादा और मेरी पत्नी दादी बनने का दिन भी याद करते हैं। मुझे याद आ रहा है, रिषभ का पहला जन्मदिन जब मैने एक कविता लिखकर सबों को सुनाई थी:

ऋषभ के प्रथम जन्म दिन पर दादाजी के उदगार...

चुलबुली आँखों में झांकते सपने,
दुआएं दे रहे तुम्हारे अपने ।

तेरी मुस्कराहटें फैलाती रहे रोशनी,
तेरी चपलताएँ चटपटी चाशनी।

तुम अपने पांवों से मुझको भी चलना सिखला दे,
उठकर गिरना,गिरकर उठना,
और सम्भलना फिर चल देना,
सारी दुनिया को, जीने का
यही तो है फंडा बतला दे।

तुम सच करना अपने सपने,
ऐसे काज जहाँ में करना,
तेरे कर्मों के प्रकाश से,
फैले उजाले सबके अंगना।

इस जहाँ में निर्भीक बनो तुम,
सर्वत्र तुम्हारी जय हो,
जन्म दिन तुम्हारा मंगलमय हो !
जन्म दिन तुम्हारा मंगलमय हो !

--ब्रजेंद्र नाथ मिश्र
तिथि: 07-07-2015, इरवाइन, यू एस ए।
शाम 7 बजे से आमन्त्रितों का आना शुरु हो गया। उनमें अशीष, मधुबनी विहार के, फिलहाल माता -पिता पटना में निवास कर रहे है, हर्ष मेरठ के, प्रणव दिल्ली के और अमर आन्ध्र प्रदेश के अपनी पत्नी और बच्चों के साथ आये। 9:00 बजे केक काटने की औपचारिकता के साथ हैप्पी बर्थ डे गीत गाये गये। कुछ और हिन्दी गाने जैसे "बार बार दिन ये आये, बार बार दिल ये गाये, तुम जियो हजारों साल, ये मेरी है आरजू,,,," और अन्य गीत भी बजाए गये। सॉफ़्ट ड्रिंक्स कोक के बाद चाऊमीन और मंचूरियन, पूड़ी, छोला और और फ्रायड राइस का भी ऑप्शन था। खाना समाप्त होते - होते करीब 10 बज गये। उसके बाद मेहमानों के धीरे धीरे जाने का समय हो गया। गिफ्ट देते हुये और रिटर्न गिफ्ट लेते हुए मेहमान सभी विदा हुये।
ज्ञातब्य हो कि एक और करीबी मित्र बाला जी अपनी पत्नी और बच्चे के साथ दो दिनों बाद आये। उस दिन उनकी बेटी को आंख में कन्जेच्टीवीटीज होने के कारण नहीं आ सके थे।
क्रमश:


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