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Sunday, September 30, 2018

अमेरिका डायरी, इरवाइन, यू एस ए में 30 वाँ, 31 वाँ दिन (Day 29,30)

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02-08-2018, इरवाइन, यू एस ए में 30 वाँ दिन (Day 30):
आज शाम में हमलोग Costco स्टोर गए। यह स्टोर उचित दाम पर सामानों के bulk purchase के लिए जाना जाता है। यहाँ की गुणवत्ता काफी अच्छी है। इसलिए यहाँ से कम वसा वाली दूध, दही लेने के बाद वॉल मार्ट के स्टोर गए, जो इसी कैम्पस यानि Alton Market प्लेस में ही दूसरी ओर है। वहाँ भी हमलोग की नज़र clearance sale पर गयी, काफी सामान हटा लिए गए थे। लेडिज सेक्शन में ज्यादा कपड़े उपलब्ध थे।
मैने सिंह (Lion) के मास्क या मुखौटा मेरे पोते को लगा दिया गया। वह खूब हँसा। उसके साथ उसकी तस्वीर भी उतारी गयी। अब उन मुखौटे को उतार कर रखने लगे, तो उसने जो रोना शुरु किया, तो चुप होने का नाम ही नहीं ले रहा था। रास्ते भर कार में रोता रहा। घर पहुँचकर ही शान्त हुआ।
हमलोगों ने आज सैंडविच, मक्खन, एभोकैडौ (Avocado, a type of fruit) मयोनीज के साथ खाए। इसे खाने में एक नया अनुभव हुआ। इसमें वसा की मात्रा मक्खन के कारण बढ़ गई थी। बिना मक्खन के भी इसे खाया जा सकता है।
क्रमश:

03-08-2018, इरवाइन, यू एस ए में 31 वाँ दिन (Day 31):
कभी-कभी जब आप ड्राइव पर निकल जाने के बाद तय करते हैं, कि चलो किसी नए गन्तब्य की ओर चलते हैं, तो गूगल मैप पर आप ऐसी नई मंजिल को चुनते हैं और जब उस ओर चल पड़ते हैं, तो लगता है, अरे यह तो वही पुरानी जगह है, जहाँ हमलोग भीड़-भाड़ के कारण जाने को स्थगित करते रहे।
आज कुछ ऐसा ही हुआ। ड्राईव पर निकल पड़ने के बाद एक नए पार्क का स्थान निर्धारित कर, गूगल मैप से GPS पर डालकर उसी ओर ड्राइव पर चल दिये। जब उस ओर काफी दूर बढ़ चुके, तो लगा कि यह तो Laguna Beach की ओर जा रहे हैं। वस्तुत: हमलोग जिस पार्क को नया समझकर, उसे मंजिल के रूप में चयनित किए थे, वह पार्क Laguna Beach के ऊपर ही था। इसतरह Laguna Beach की यात्रा बाई डिफाल्ट हो गई। कार के स्टीरियो सिस्टम पर गाना चल रहा था, "यही तो उमर है, कर ले गलती से मिस्टेक,,,"
Laguna Beach, दक्षिणी कैलिफ़ोर्निया के Orange County में एक सनुद्र्तटीय रेसोर्टों वाला शहर है। जरीब 23000 आबादी वाला यह शहर कला और साहित्य के केन्द्र के रूप में जाना जाता है। ऐतिहासिक तथ्यों पर अगर रोशनी डालें, तो कहा जायगा कि यह जगह Paleo Indians और Tongva मूलवासियों का निवास स्थान था, जो एक समय मैक्सिको का हिस्सा बना। 1848 ई में मैक्सिको-अमेरिकन लड़ाई के बाद यह अमेरिका के कैलिफोर्निया राज्य का हिस्सा बन गया।
यह शहर, शहरी आपाधापी और अधिकृत कब्जा से महफूज इसलिए रह पाया, क्योंकि राश्ट्रीय उच्च पथों से कम से कम जुडते हुए, तीन ओर से पहाड़ों और समर्पित हरा भरा सुरक्षित क्षेत्र (Dedicated green belt) से घिरा हुआ है। Laguna Beach का 5.88 miles(9.46 km), का समुद्र तट जल प्राणी के सुरक्षित क्षेत्र के रूप में और साथ ही करीब 2 किमी क्षेत्र राज्य के Conservation क्षेत्र के अधीन है।
Laguna Canyon 1841 ई में मैक्सिकन Land Grant Map में Glen of Lagoons में लिखा गया। 1864 ई में भीषण अकाल के समय इसके पूर्व मालिक ने इसे James Irvine को बेच दिया। इसतरह यह Irvine का हिस्सा बन गया।
1880 ई के आस पास यहाँ पर निवासियों की संख्या बढ़ी। 1904 ई तक जब यहाँ पोस्टल सेवायें स्थापित हुईं थी, यह शैलानियों के आकर्षण का केंद्र बन गया था। यहाँ, इस शहर के एकान्त लम्बे तटीय फैलाव और पहाडों के सौंदर्य ने Wlliam Wendt, Frank Cuprien और Edgar Payne जैसे सौन्दर्य प्रेमी चित्रकारों इतना आकर्षित किया कि वे यहीं बस गए। उन लोगों ने Laguna Beach Art Association की स्थापना की, जहाँ 1918 में पहली Art Gallery खुली। बाद में यही Laguna Beach Art Museum बना। Hollywood से समीपता के कारण यह फिल्मों की शूटिंग के लिये एक आदर्श लोकेशन बन गया। इसीलिए निर्देशक। अभिनेता और फिल्मों में काम करने वाले अन्य लोग काफी दिनों तक यहाँ के Arch Beach Tavern, जो Moss Street के हिल साइड के ऊपर स्थित है, ठहरा करते थे। चित्रकारों, फोटोग्राफरों, फिल्मकारों और लेखकों की निरंतर उपस्थिति के कारण Laguna Beach क्रीयेटिव लोगों का खास वास-स्थान बन गया।
यह Hippie Cultural Movement का भी केंद्र रहा है। हिप्पी फैशन और संस्कृति, जिसने धार्मिक और सांस्कृतिक समन्वय के साथ खुलेपन को जिसतरह से 1960 के दशक में फैलाया, उससे पूर्वाध्यात्मिक और उदारवादी दार्शनिक सिद्धांतों को स्थापित करने में काफी मदद की।
"उत्सव रजनीश ध्यान केंद्र" भी Laguna Canyon Road पर स्थित आध्यात्म गुरु ओशो रजनीश के द्वारा स्थापित अमेरिका का ऐसा अन्तिम समुदाय था। यहाँ ISCON (Inernational Shrikrishna Consciousness) का भी एक आध्यात्मिक केंद्र हमने देखा।
Laguna Beach पर आने की योजना मेरे निर्धारित कार्यक्रम(Itinery) में रहने के बावजूद भी सप्ताहांत में अधिक भीड़-भाड़ के मद्देनजर कार्यक्रम को स्थगित करते रहे। लेकिन आज अचानक ही इधर आना हो गया, जिसकी कहानी मैं पहले वर्णित कर चुका हूँ। कार से काफी घूमने के बाद हमलोग वहाँ पहुँचे, जहाँ यह सड़क, समुद्र तट के समानांतर सड़क से मिलती है। पार्क तो दिखा, परन्तु वहां पार्किंग स्पेश नहीं मिला। हमारे भारत में जैसे सड़क पर कार रोककर सबों को उतार दिये और फिर गाड़ी को दूर ले जाकर जहाँ स्थान मिले वहाँ पार्क कर दिये, ऐसा भी यहाँ नहीं किया जा सकता। यह नियम विरुद्ध है। ऐसा करते हुए आप दूसरे वाहनों के परिचालन में अवरोध उत्पन्न कर रहे हैं, ऐसा माना जायेगा और आप पर जुर्माना लगाकर आपको दंडित किया जा सकता है। काफी चक्कर लगाते हुये हमलोग एक सीधी उतराई वाली सीधी सड़क से गुजरे, जिसकी तस्वीरें मैने यहाँ पर डाली हैं। आप अवश्य देखियेगा और अपने विचारों से अवगत कराइयेगा। अन्ततः समुद्री तट से दूर सड़क के समानतार चिन्हित स्थान पर कार पार्क की गयी। वहाँ से पैदल हल्की उतराई की स्थिति से गुजरते हुए करीब बीस मिनट में उसी पार्क तक पहुँचे, जिसे हमलोगों ने गूगल मैप पर सेलेक्ट किया था।
यहाँ पहुँचते-पहुँचते शाम का अन्धेरा घिरना शुरु हो चुका था। इस अन्धेरे में भी बिजली की चौन्धियाती रोशनी से धुली वारिद-कन्या श्यामल ओढ़नी ओढे एक नीलवर्णी लावण्या-सी लग रही थी। उदधि का ऐसा रूप, ऐसा अद्भूत सौंदर्य का प्राकट्य मैने पहले कभी नहीं अनुभव किया था। मैने इसी संदर्भ को कई दूसरे कोणों से कल्पना को समेटते हुए एक कविता लिखी है, जो नीचे दी गई है।
मैने तस्वीरें लीं। करीब डेढ़ घन्टे तट पर और पार्क में बिताये। हमलोगों ने यहाँ के साफ-सुथरे रेस्ट रुम का भी उपयोग किया। तट पर खुले पाँव, शॉटस में तन्वन्गी सुंदरियाँ, समुद्र की लहरों को छूकर आती ठंढी हवाओं में गर्मी की सिहरन-सी लग रही थी। सडक के किनारे घूमते हुए एक ओर जलपान गृहों से समुद्री मछली के तले जाने की गन्ध के साथ शराब की मिली-जुली गन्ध नाक में घुस रही थी। सडक के किनारे की पगडंडी पर भीड़-भाड़ थी, जो मुंबई के जुहू या कोलाबा बीच के जैसा दृश्य उपस्थित कर रहा था।
रात पूरी तरह घिरनी शुरु हौ गई थी। ट्रैफिक कुछ कम होने जैसा लगा। हमलोगों ने वापस घर चलने का निर्णय लिया। आधे घन्टे ड्राइव के बाद ही घर आ गए।

आज शाम आ पहुंचे हम बीच लगूना
शैलानियों की लम्बी कतारें लगी हैं यहाँ।

नीले गगन का ऊपर बितान है तना
नीचे वारिधि - जल में नीला रंग है सना।

उठती गिरती तरंगों का तट पर बिखराव
यौवन - उफान भी एक दिन पाता ठहराव।

जल राशि में खेलती डोलती है एक सुन्दरी
ज्यों समुद्र तल से कोई निकली हो जल परी।

रंग बदल रहा उदधि का अब उतर रही शाम।
सूरज थककर पश्चिम क्षितिज मे पाता विश्राम।

चारू -चन्द्र -चंचल- किरण भुज -बँध खोलती
उग आये हों चांद कई, उल्लास रस घोलती।
ब्रजेन्द्रनाथ
क्रमशः 

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