#BnmRachnaWorld
#poemonholi
प्रिय पाठकों,
आपको और आपके समस्त परिवार को होली की अनंत, असीम, अशेष शुभकामनाएँ!
मेरी एक कविता प्रस्तुत है। अवश्य पढ़ें और देखें। सारे छंद पहले लिखे गए हैं। अंतिम छंद मैंने आज ही जोड़ा है।
इसका वीडियो लिंक भी दे रहा हूँ। अवश्य देखें। अपने मित्रों और करीबियों को मेरे चैनल 'marmagya net' को सब्सक्राइब करने के लिए कहें। आपको हृदय से होली का पुनः अभिनंदन!
होली को इसबार कुछ खास बनायें
वे रंग जो पुते हैं, उनके चेहरों पर ,
हैं जुदा उनसे, जो हैं उनके अन्दर ।
अन्दर के रंगों में विश्वास जगायें।
होली को इस बार कुछ खास बनायें।
अफसाने गा चुके मुहब्बतों के
कसीदे सजा चुके उल्फतों के।
इस होली प्रेम का पुख्ता अहसास जगायें।
होली को इस बार कुछ खास बनायें।
वो झोपड़ी जो है गली के मुहाने पर
कोई बेरंग सवाल है, जमाने पर।
इस होली वहां का सन्त्रास मिटाएं।
होली को इस बार कुछ खास बनायें।
इस होली कुछ सवाल उथड़े उथड़े से है।
जवाब देते हुये क्यों वे उखड़े उखड़े से हैं ?
इस होली जवाब में एक इतिहास रचायें।
होली को इस बार कुछ खास बनायें।
गेंदे, गुलाब, जूही, चम्पा और चमेली
चमन में हैं रंगों का मेला मेरी सहेली।
चलो इस बार कुछ पलाश उगायें।
होली को इस बार कुछ खास बनायें।
वे बच्चे जो बीन रहे बचपन में कचरे,
उनको लौटा दें उनके सपने सुनहरे।
उनके उड़ान का एक आकाश बनायें।
होली को इस बार कुछ खास बनायें।
सीमा पर जो डटे हैं देश के प्रहरी
उनसे ही होली है हमारी रंगों भरी
उनके लिये सीने में आग का उजास धधकायें।
होली को इस बार कुछ खास बनायें।
सड़कों पर बैठे हैं, भ्रम से जो ग्रस्त हैं,
सियासत में फंसकर जो झूठ में व्यस्त हैं।
उनके दिलों में सच का सुवास बसाएँ।
होली को इसबार कुछ खास बनाएँ।
YouTube link: https://youtu.be/X5rsyNlnokM
©ब्रजेंद्रनाथ
यह कविता और मेरी अन्य कविताएँ मेरे कविता संग्रह "कौंध" को अमेज़न किंडल के इस लिंक से डाउनलोड कर पढ़ें और अपने बहुमूल्य विचारों से अवगत कराएं:
https://amzn.to/2KdRnSP
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आपको और आपके समस्त परिवार को होली की अनंत, असीम, अशेष शुभकामनाएँ!
मेरी एक कविता प्रस्तुत है। अवश्य पढ़ें और देखें। सारे छंद पहले लिखे गए हैं। अंतिम छंद मैंने आज ही जोड़ा है।
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होली को इसबार कुछ खास बनायें
वे रंग जो पुते हैं, उनके चेहरों पर ,
हैं जुदा उनसे, जो हैं उनके अन्दर ।
अन्दर के रंगों में विश्वास जगायें।
होली को इस बार कुछ खास बनायें।
अफसाने गा चुके मुहब्बतों के
कसीदे सजा चुके उल्फतों के।
इस होली प्रेम का पुख्ता अहसास जगायें।
होली को इस बार कुछ खास बनायें।
वो झोपड़ी जो है गली के मुहाने पर
कोई बेरंग सवाल है, जमाने पर।
इस होली वहां का सन्त्रास मिटाएं।
होली को इस बार कुछ खास बनायें।
इस होली कुछ सवाल उथड़े उथड़े से है।
जवाब देते हुये क्यों वे उखड़े उखड़े से हैं ?
इस होली जवाब में एक इतिहास रचायें।
होली को इस बार कुछ खास बनायें।
गेंदे, गुलाब, जूही, चम्पा और चमेली
चमन में हैं रंगों का मेला मेरी सहेली।
चलो इस बार कुछ पलाश उगायें।
होली को इस बार कुछ खास बनायें।
वे बच्चे जो बीन रहे बचपन में कचरे,
उनको लौटा दें उनके सपने सुनहरे।
उनके उड़ान का एक आकाश बनायें।
होली को इस बार कुछ खास बनायें।
सीमा पर जो डटे हैं देश के प्रहरी
उनसे ही होली है हमारी रंगों भरी
उनके लिये सीने में आग का उजास धधकायें।
होली को इस बार कुछ खास बनायें।
सड़कों पर बैठे हैं, भ्रम से जो ग्रस्त हैं,
सियासत में फंसकर जो झूठ में व्यस्त हैं।
उनके दिलों में सच का सुवास बसाएँ।
होली को इसबार कुछ खास बनाएँ।
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©ब्रजेंद्रनाथ
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