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Tuesday, March 24, 2020

कोरोना ने बदल दिए आचरण (कविता)

 BnmRachnaWorld
#coronapoem





परमस्नेही साहित्यान्वेषी मित्रों,
कृपया यह संदेश अवश्य पढ़ें:
एक लंबे अंतराल के बाद मैं, ब्रजेंद्रनाथ आपकी पसंद के शुद्ध साहित्यिक रचनाओं के चैनल marmagya net के द्वारा कोरोना के कहर और उससे छाए खौफ को थोड़ा कम करने के लिए हास्यात्मक अंदाज में एक कविता सुनाने जा रहा हूँ। कोरोना वायरस के फैलाव ने  हमारी आदतों को बदल दिया है। यह एक सकारात्मक बदलाव है। इसके दूरगामी अच्छे प्रभाव हो सकते हैं, अगर इसे कायम रखा जाय। तो प्रस्तुत है:
"कोरोना ने बदल दिए सबों के आचरण"

कोरोना ने बदल दिए आचरण

जिन आदतों को अपनाने में झिझक होती थी,
जिन हाथों को जोड़कर कहते नहीं थे नमस्ते।
उन्हीं आदतों को जीवन में पुनः अपना रहे हैं,
अब तो हाथ मिलाते नहीं, जोड़ते, हंसते-हंसते।
कोरोना ने सिखाया, पूर्व परंपरा का अनुसरण।
कोरोना ने बदल दिए है सबों का आचरण।

जो हस्त पाद प्रक्षालन बिना प्रवेश कर जाते थे,
जो हाथों को धोए बिना चम्मच कांटे से खाते थे।
अब वे ही साबुन से हाथ धोते हैं मल मल कर,
अब वे ही कहते हैं, स्वयं से कभी मत छल कर।
कोरोना ने सिखला दिये, उत्तम गुणों का वरण।
कोरोना ने बदल दिए है सबों के आचरण।

जो मांसाहार के बिना एक दिन नहीं रह पाते थे,
जो चिकन पकाते, चटखारे ले लेकर खाते थे।
जो मीट स्टाल पर लाइन लगाकर खरीद करते थे,
पार्टियों में नॉन वेज के लूट को टूट टूट पड़ते थे।
कोरोना सिखलाये, शाक - भाजी खाने का चलन।
कोरोना ने बदल दिए हैं, सबों के आचरण।

जो प्यार जताने को, प्यार निभाने को, गले लगाने को,
मिलने जुलने को, दिल मिलाने को गले पड़ जाते थे।
आज वही दूर-दूर रहते है, देखते ही नजरें चुराते है,
अगर मिल भी जाए तो हँसकर ही प्यार जताते हैं।
कोरोना कह रही अब ऐसे ही करें मिलन।
कोरोना ने बदल दिए है सबों के आचरण।

ट्रेन के ए सी कोच में पर्दे हैं नहीं, न ही हैं कम्बल,
एयरपोर्ट पर उड़ाने हो सकती है बन्द,अब तो संभल।
आये हों विदेश से कराएं जांच, रहें क्वारएनटाइन में,
वीमारी फैलने से रोकें, भीड़भाड़, पार्टी में मत निकल।
कोरोना कह रही नियमों का मत करो उल्लंघन।
कोरोना ने बदल दिए हैं सबों के आचरण।
©ब्रजेंद्रनाथ
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पूरी कविता मेरे यूट्यूब चैनल 'marmagya net के इस लिंक पर सुनें, सब्सक्राइब करें, लाइक और शेयर करें। बेल आइकॉन भी दबा दें ताकि नया वीडियो अपलोड होने पर इसकी सूचना आपको मिल जाय।
आप मेरी अन्य कविताएँ मेरे कविता संग्रह "कौंध" को अमेज़न किंडल से डाउनलोड कर पढ़ें और अपने बहुमूल्य विचारों से अवगत कराएं।
Link: https://youtu.be/GN0xc9ZmVZk
सादर! ब्रजेंद्रनाथ

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