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Tuesday, March 3, 2020

मति अइह फागुन में (भोजपुरी कविता)

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पिछले रविवार 23 फरवरी को सिंहभूम हिंदी साहित्य सम्मेलन के तत्वावधान में तुलसी भवन बिष्टुपुर जमशेदपुर में लोकभाषाओं में काव्य पाठ के लिए आयोजित "लोक मंच" कार्यक्रम में कविता पाठ का सुअवसर मिला। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता आदरणीय यमुना तिवारी "व्यथित" जी ने की, संयोजन माधवी उपाध्याय जी ने किया और ममता सिंह जी ने धन्यवाद ज्ञापन किया। आप तस्वीरों में कार्यक्रम की झलकियों को देखते हुए मेरे द्वारा कविता पाठ का आनंद ले। कमेंट बॉक्स में अपने विचार अवश्य दें। इस चैनल को सब्सक्राइब करें, लाइक और शेयर करें।

सैया अबकी बार तू मति अईह फागुन में।
सीमा पर दुश्मन फिर से घात लगाकर आइल बा।
पलखत पाई के अंदर में घुसे के जुगाड़ में जुटल बा।
उ सब के ठिकाने लगाके रहिह फागुन में।
सैया अबकी बार मति अईह फागुन में।

बर्फ के तूफान उठत होई हम जानs तानी,
तीर जइसन ठंढ चुभत होई हम जानs तानी।
वज्र जइसन बदन बनाके डटल रहिह फागुन में।
सैया अबकी बार तू मति अईह फागुन में।

इहवाँ देश के अंदर भी मीरजाफर गैंग बढ़ता,
सरकार के नरभसावे खातिर चाल अपन चलता।
एकर चिंता मत तू करिह ठिकाने लगिहें फागुन में।
सैया अबकी बार तू मति अईह फागुन में।

इहवाँ रंग गुलाल तो उड़ी बहुत पर राऊर साथ न होई,
इहवाँ ढोलक पर थाप पड़ी, पर राऊर साथ न होई।
चिंता मत करिह हमार, देशवा के सम्मान रखिह फागुन में।
सैया अबकी बार तू मति अईह फागुन में।
©ब्रजेंद्रनाथ
मेरी अन्य कविताएँ अमेज़न किंडल से मेरी कविता संग्रह
"कौंध" को नीचे दिए गए लिंक से डाउनलोड कर पढ़ें, किंडल के कमेंट बॉक्स में अपने बहुमूल्य विचारों से अवश्य अवगत कराएं।
सादर आभार!
ब्रजेंद्रनाथ

You Tube link:
https://youtu.be/_MKhN7A-4O4

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