#BnmRachnaWorld
#poemonlife
#life
इस जहाँ में बहुत कुछ झेले हैं।
पर वहाँ भी बहुत ही अकेले हैं।
शामें उतरती हैं कुछ इसतरह
जैसे भूल चुकी यादों के रेले हैं।
कई-कई रास्ते ऐसे मिलते गए
जहाँ फैले नागफणी नुकीले हैं।
हर जगह स्वाद मीठे तो होंगें नहीं
चखता गया जैसे वक्त के करैले हैं।
ऊपर से मीठे दिखने वाले आम भी
अन्दर घुलते, कितने लगे कसैले है।
झक सफेदी जो है उनके कुरते पर
झाँको, देखो, अंदर से कितने मैले हैं।
विशाल अजगर के फैलने के पहले
मिटा दो उन्हें तभी जब संपोले हैं।
आपके मुस्कराने में भी लगता है
छूटेंगें तीर जो खासे विषैले हैं।
उड़ाते चलो सच का परचम दोस्तों
'मर्मज्ञ' है जिन्दा तभी तो झमेले हैं।
©ब्रजेन्द्र नाथ
(तस्वीर गूगल से साभार)
#poemonlife
#life
भीड़ में कितने अकेले हैं
इस जहाँ में बहुत कुछ झेले हैं।
पर वहाँ भी बहुत ही अकेले हैं।
शामें उतरती हैं कुछ इसतरह
जैसे भूल चुकी यादों के रेले हैं।
कई-कई रास्ते ऐसे मिलते गए
जहाँ फैले नागफणी नुकीले हैं।
हर जगह स्वाद मीठे तो होंगें नहीं
चखता गया जैसे वक्त के करैले हैं।
ऊपर से मीठे दिखने वाले आम भी
अन्दर घुलते, कितने लगे कसैले है।
झक सफेदी जो है उनके कुरते पर
झाँको, देखो, अंदर से कितने मैले हैं।
विशाल अजगर के फैलने के पहले
मिटा दो उन्हें तभी जब संपोले हैं।
आपके मुस्कराने में भी लगता है
छूटेंगें तीर जो खासे विषैले हैं।
उड़ाते चलो सच का परचम दोस्तों
'मर्मज्ञ' है जिन्दा तभी तो झमेले हैं।
©ब्रजेन्द्र नाथ
(तस्वीर गूगल से साभार)
2 comments:
बहुत भावपूर्ण और उम्दा ग़ज़ल. बधाई.
आदरणीया डॉ जेन्नी शबनम जी, आपके सकारात्मक उदगारों से सृजन की नई ऊर्जा प्राप्त होती है। अपने विचार अवश्य देते रहिएगा। आपके विचार मेरे लिए बहुमूल्य हैं। सादर आभार!--ब्रजेंद्रनाथ
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