#BnmRachnaWorld
#hindipoemstreetchildren
#streetchildren
(स्ट्रीट चिल्ड्रन पर लिखी एक कविता)
जिंदगियां परेशान हो गयी,
जिन गलियों में जीवन बीता,
आज कितनी वीरान हो गयी।
कोई हाथ बढ़ाने वाला,
क्या आएगा कभी यहाँ?
कोई हमें थामने वाला,
क्या आएगा कभी यहाँ?
चाह नहीं इसकी अब भी,
पहले भी कभी नहीं रही,
मस्ती में जीवन कटता है,
कभी कमी भी नहीं रही।
आओ दोस्तों, थोड़ी अपनी भी परवाह करें,
आओ खेलें, मेल बढ़ाएं, जीने की चाह करें।
ऐसे जीवन में मलंग भी
गीत जीत का गाता है,
कल का किसने देखा है,
आज सूरज से नाता है।
रातें कटती, करते बातें,
कभी चाँद, कभी सितारे,
आँखे झँपती, जगी हैं आंतें,
रिश्ते सारे स्वर्ग सिधारे।
मेरे मन में जगती आसें,
उड़ें गगन में पंख फुलाएं,
जंग जीतनी है, जीवन की,
क्षितिज पार से कोई बुलाये।
गोलू, भोलू, आओ, बैठो थोड़ी तो सलाह करें,
आओ खेलें, मेल बढ़ाएं, जीने की चाह करें।
©ब्रजेंद्रनाथ मिश्र
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#streetchildren
(स्ट्रीट चिल्ड्रन पर लिखी एक कविता)
जीने की चाह करें
सड़कें सुनसान हो गयी,जिंदगियां परेशान हो गयी,
जिन गलियों में जीवन बीता,
आज कितनी वीरान हो गयी।
कोई हाथ बढ़ाने वाला,
क्या आएगा कभी यहाँ?
कोई हमें थामने वाला,
क्या आएगा कभी यहाँ?
चाह नहीं इसकी अब भी,
पहले भी कभी नहीं रही,
मस्ती में जीवन कटता है,
कभी कमी भी नहीं रही।
आओ दोस्तों, थोड़ी अपनी भी परवाह करें,
आओ खेलें, मेल बढ़ाएं, जीने की चाह करें।
ऐसे जीवन में मलंग भी
गीत जीत का गाता है,
कल का किसने देखा है,
आज सूरज से नाता है।
रातें कटती, करते बातें,
कभी चाँद, कभी सितारे,
आँखे झँपती, जगी हैं आंतें,
रिश्ते सारे स्वर्ग सिधारे।
मेरे मन में जगती आसें,
उड़ें गगन में पंख फुलाएं,
जंग जीतनी है, जीवन की,
क्षितिज पार से कोई बुलाये।
गोलू, भोलू, आओ, बैठो थोड़ी तो सलाह करें,
आओ खेलें, मेल बढ़ाएं, जीने की चाह करें।
©ब्रजेंद्रनाथ मिश्र
11 comments:
आदरणीया मीना भारद्वाज जी, चर्चा अंक 3709 में मेरी कविता को कल शुक्रवार की चर्चा में शामिल करने के लिए आपका हृदय तल से आभार! मैं उसमें अवश्य भाग लूंगा।
सादर आभार!--ब्रजेंद्रनाथ
सुन्दर सृजन
आओ दोस्तों, थोड़ी अपनी भी परवाह करें,
आओ खेलें, मेल बढ़ाएं, जीने की चाह करें।
बहुत ही संदर सृजन ।
वह सुबह कभी तो आएगी........
आदरणीय अभिलाष शुक्ला जी, मेरी रचना को पढ़कर उत्साहवर्द्धक टिप्पणी देने के हार्दिक आभार! इसी ब्लॉग पर मेरी अन्य रचनाएँ भी पढ़कर अपने विचार अवश्य दें। --ब्रजेंद्रनाथ
आदरणीय गगन शर्मा जी, मेरी रचना पर सकारात्मक विचार व्यक्त करने के लिए हार्दिक आभार!--ब्रजेंद्रनाथ
आ सुशील कुमार जोशी जी, आपके उत्साहवर्धन से सृजन की ऊर्जा मिलती है। हार्दिक आभार!--ब्रजेंद्रनाथ
निश्छल बालपन को समेटे सुंदर सारगर्भित सृजन आदरणीय सर. शब्द शब्द समय से समय का बख़ानकर अपनी सार्थकता दर्शाता.
सादर प्रणाम सर
मेरे मन में जगती आसें,
उड़ें गगन में पंख फुलाएं,
जंग जीतनी है, जीवन की,
क्षितिज पार से कोई बुलाये।
ब्रजेंद्रनाथ जी ,
सादर प्रणाम
आस के नए बीज को सहेजती रचना ...जिस दिन समय अनुकूल हो जाएगा ये बीज अंकुरित हो फुट पड़ेगा और आस जीवंत रूप ले लेगी
बहुत अच्छी रचना बधाई
कोविड -१९ के इस समय में अपने और अपने परिवार जनो का ख्याल रखें। .स्वस्थ रहे
आदरणीया अनीता जी, सादर स्नेह! मेरी रचना के बारे में आपके सराहना भरे उदगार से अभिभूत हूँ . आपके विचार सृजन के लिए प्रेरक का काम करते हैं . सादर आभार !-- ब्रजेंद्र नाथ
आदरणीया वीनस एस जोया जी, आपके अनुमोदन से सृजन की नयी प्रेरणा मिलती है. अपने विचारों से अवगत कराते रहिएगा . सादर आभार ! --ब्रजेंद्र नाथ
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