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Sunday, May 10, 2020

माँ तो बस माँ होती है (कविता) #mother

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माँ तो बस माँ होती है


माँ तो माँ होती है,
माँ तो बस माँ होती है।

वह जगती हैं रातों में,
ठंड में, और बरसातों में।
वह दर्द सहती है ,
वह मौन रहती है।
वह रहती है ठहरी - सी,
छोटे से घर की गठरी सी।
वह विस्तृत कहाँ-कहाँ होती है!
माँ तो बस माँ होती है।

वह बहती है, शिराओं में,
वह फड़कती है भुजाओं में।
वह आँगन में गौरैया सी,
वह डोलती यशोदा मैया सी।
वह छत की रस्सी, बंधी हुयी,
उनपर कपड़ों-लत्तों सी टंगी हुयी।
वह आंगन की धूप-सी,
वह कौशल्या के रूप सी।
वह नहीं माँगती है कुछ भी,
वह देती ही जाती है,
माँ कितना तू भाती है।
माँ, तो सारा जहां होती है।
माँ, तो बस माँ होती है।

माँ तू कब खुश हो लेती है,
माँ, तू ओट में छुप छुप कर,
कब चुपके से रो लेती है?
माँ नहीं उदास होती है,
माँ विग्रह नहीं करती,
न ही विग्रह कराती है।
क्योंकि वह समास होती है।
माँ, से है ये कायनात,
माँ से ही है विस्तार व्याप्त
माँ ही धरती सी अचल, सुदृढ,
और वितान में आसमाँ होती है।
माँ तो बस माँ होती है।

©ब्रजेंद्रनाथ मिश्र

यूट्यूब लिंक : 
https://youtu.be/Hddr-GYnudA

6 comments:

Ravindra Singh Yadav said...

जी नमस्ते,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (04 मई 2020) को 'ममता की मूरत माता' (चर्चा अंक-3698) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
*****
रवीन्द्र सिंह यादव

Marmagya - know the inner self said...

आदरणीय रवींद्र सिंह जी, मेरी रचना को चर्चा मंच के अंक ३६९८ में शामिल करने के लिए ह्रदय तल से आभार !--ब्रजेन्द्र नाथ

अनीता सैनी said...

माँ धरती पर सृष्टि की सबसे ख़ूबसूरत कृति है. नवजात के मुख से पहला सरलतम शब्द माँ ही उच्चरित होते सुना गया है.
बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति आदरणीय सर.
सादर प्रणाम

Kamini Sinha said...

माँ को सत सत नमन ,हृदयस्पर्शी सृजन सर ,सादर नमन

Marmagya - know the inner self said...

आदरणीया कामिनी जी, मेरी रचना पर आपके उत्साहवर्द्धक उदगार मुझे सृजन के लिए प्रेरित करते रहेंगे। सादर आभार!--ब्रजेंद्रनाथ

Marmagya - know the inner self said...

आदरणीया अनिता सैनी जी, मेरी इस रचना पर आपके सकारात्मक अनुमोदन से मुझे सृजन की नवीन प्रेरणा मिली है। आपका हृदत तल से आभार!--ब्रजेंद्रनाथ

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