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Saturday, May 9, 2020

ऋषिवर तुझे मेरा प्रणाम (कविता) चित्र आधारित कविता

#BnmRachnaWorld
#poemmotivational











चित्र आधारित सृजन

ऋषिवर तुझे मेरा प्रणाम


दो आशीष जगावें उनको,
घोर नींद में जो सोए हैं ।
खाओ, पीओ और जीओ
के भेड़ चाल में जो खोए हैं।

उनके अन्तर में जग जाए
स्फूर्ति और शक्ति अविराम।

दो आशीष जगावें उनको
घोर निराशा में हैं ठहरे।
जीवन में बढ़ जाने के
प्रयास पर, डाले हैं पहरे।

वे सतत संघर्ष रत हों,
कार्य पूर्ण कर लें आराम।

उनको समझा सकें यह
संकट विकट कोरोना काल के।
उनको मन मे बिठा सकें,
फन कैसे हैं कठिन व्याल के।

धीरज, शांति और संयम से,
बीत जाएगी विपत्ति तमाम।

दुश्मन थर-थर काँपेगा
रूधिर वेग प्रबल होगा।
युवा देश के जग जायेंगें,
राष्ट्र मुकुट उज्ज्वल होगा।

हर नारी होगी गार्गी, भारती,
युवक होगा अब्दुल कलाम।

जो लासरहित, निरानंदित हैं,
थकित, श्रमित और व्यथित हैं।
सेवा व्रत में आगे हों हम,
उनके काम में जो वंचित है।

दो आशीष कि हम आयें,
लोकहित में सबके काम।

©ब्रजेंद्रनाथ मिश्र

4 comments:

सुशील कुमार जोशी said...

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति।

Marmagya - know the inner self said...

परम आदरणीय सुशील कुमार जोशी जी, मेरी रचना पर आपके सकारात्मक विचारों से मेरा उत्साहवर्धन हुआ है। साथ ही सृजन की नवीन प्रेरणा और मार्गदर्शन भी प्राप्त हुआ है। आपका हृदय तल से आभार!

Meena Bhardwaj said...

सुन्दर भावों से सजी अनुपम कृति ।

Meena Bhardwaj said...

सुन्दर भावों से सजी अनुपम कृति ।

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