#hikuchhand
शृंगार के छः छन्द: हाइकु
हाइकु सृजन:
भींगा बदन
सुलगाये अगन
तपता मन ।
छनती धूप
खिला इंद्रधनुष
जैसा आनन ।
कर शृंगार
निहारती दर्पण
चंचल मन ।
लतिका गात
अरुणिम प्रभात
भटका मन ।
नवीन पल
उड़ रहा आँचल
बहका मन ।
तेज रफ्तार
घड़ी की टिक टिक
छोटा मिलन ।
©ब्रजेंद्रनाथ मिश्र
भींगा बदन
सुलगाये अगन
तपता मन ।
छनती धूप
खिला इंद्रधनुष
जैसा आनन ।
कर शृंगार
निहारती दर्पण
चंचल मन ।
लतिका गात
अरुणिम प्रभात
भटका मन ।
नवीन पल
उड़ रहा आँचल
बहका मन ।
तेज रफ्तार
घड़ी की टिक टिक
छोटा मिलन ।
©ब्रजेंद्रनाथ मिश्र
(तस्वीर गूगल से साभार)
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