#poemonmother'slove
#vatsalya
ममता की गोद
बालक का तन,
माता का लगा मन,
आँचल है नम
ममता पोर पोर है।
आनन पर स्वेद कण,
काम में उलझा तन,
बोझ नहीं होता कम,
स्नेह सराबोर है।
ठुमक-ठुमक चलता,
उंगली पकड़ लेता,
मन की भाषा ,
खोजती परिभाषा है।
आँखे हैं चंचल,
चित्त है चपल
माँ की बंधी आशा,
जगाती अभिलाषा है।
स्थिर हुआ मन
खुलता वातायन
हवाओं में सुधियाँ
आयीं संग संग है।
तन है थकित, पर
हृदय पुलकित,
उमंगों की तटिनी में
उठती तरंग है।
आजा मेरे कान्हा,
माँ को न तू सता,
ममता की गोद सूनी
मेरी सौगंध है।
मैया सौगंध ना दे
वापस इसे ले ले
तेरी गोद से ही मेरा
जीवन-संबंध है।
©ब्रजेन्द्र नाथ मिश्र
बालक का तन,
माता का लगा मन,
आँचल है नम
ममता पोर पोर है।
आनन पर स्वेद कण,
काम में उलझा तन,
बोझ नहीं होता कम,
स्नेह सराबोर है।
ठुमक-ठुमक चलता,
उंगली पकड़ लेता,
मन की भाषा ,
खोजती परिभाषा है।
आँखे हैं चंचल,
चित्त है चपल
माँ की बंधी आशा,
जगाती अभिलाषा है।
स्थिर हुआ मन
खुलता वातायन
हवाओं में सुधियाँ
आयीं संग संग है।
तन है थकित, पर
हृदय पुलकित,
उमंगों की तटिनी में
उठती तरंग है।
आजा मेरे कान्हा,
माँ को न तू सता,
ममता की गोद सूनी
मेरी सौगंध है।
मैया सौगंध ना दे
वापस इसे ले ले
तेरी गोद से ही मेरा
जीवन-संबंध है।
©ब्रजेन्द्र नाथ मिश्र
3 comments:
ममता को साकार बनाती रचना
Comment moderation हटा लें तो ज्यादा लोग लाभान्वित हो सकेंगे
आदरणीय गगन शर्मा जी, मेरी रचना पर सकारात्मक और उत्साहवर्द्धक टिप्पणी के लिए हार्दिक आभार! आप मेरी अन्य रचनाएँ भी मेरे ब्लॉग marmagyanet.blogspot.com पर जाकर पढ़ें और अपने विचार अवश्य दें।--ब्रजेंद्रनाथ
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