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Monday, June 1, 2020

लॉक डाउन खुला (कविता)

#BnmRachnaWorld
#coronaunlockdown












लॉक डाउन खुला

लॉक डाउन खुला
तो हुए नहीं स्वच्छंद,
बस थोड़े ढीले हुए हैं,
नियमों के प्रतिबंध ।

अभी भी छोड़े नहीं,
दूरी और सजगता।
मास्क लगाकर घूमें
निभाये आत्मीयता।

महामारियों के काल में
कोरोना काल है विकट
याद करेगी सदी इसे
मानव करता छटपट।

जाएँ कहाँ, निभाएं कैसे,
उन रिश्तों के अनुबंध।
जिनसे हमारे अस्तिव
का जुड़ा हुआ संबंध।

नदी दुकूल निर्मल हुआ,
नीर हुआ उज्ज्वल।
गगन वितान निरभ्र हुआ,
चाँद हुआ चंचल।

आनंद पर्व मनाने का
नहीं मुहूर्त विशेष।
कोरोना विषाणु तैर रहा
कब कर जाए प्रवेश?

©ब्रजेंद्रनाथ मिश्र

यूट्यूब लिंक: https://youtu.be/2JwtPUy4u_M 

4 comments:

दिगम्बर नासवा said...

महूरत शायद अब लम्बे समय बाद निकले इसलिए ... सावधानी रख लें ...
अच्छी है रचना ...

Marmagya - know the inner self said...

आदरणीय दिगंबर नासवा जी, मेरी रचना पर आपके उत्साहवर्द्धक उदगारों ने मुझे सृजन की नई प्रेरणा दी है। आपका हार्दिक आभार!-ब्रजेंद्रनाथ

VenuS "ज़ोया" said...

ब्रजेंद्रनाथ मिश्र जी
सादर प्रणाम

अच्छ ज्ञान देती रचना
आस है लोग इसे पढ़े. समझे और पालन करे

बहुत ही सार्थक , उपयोगी सुंदर रचना

Marmagya - know the inner self said...

आदरणीया वीनस "जोया" जी मेरी रचना पर उत्साहवर्द्धक प्रतिक्रिया देने के लिए हृदय तल से आभार!--ब्रजेंद्रनाथ

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