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Sunday, June 21, 2020

राही तू चलता जा (कविता) #motivational

#BnmRachnaWorld
#motivationalpoem




















राही तू  चलता जा


राही तू  चलता जा,
चलने से तेरा वास्ता।

राहों पर कंकड़ - पत्थर,
टूट - टूटकर धूल बन गए।
वे सहलाती राही के
पैरों के नीचे फूल बन गए।

नहीं रहेगी थकन,
छाँव के नीचे बना है रास्ता।
राही  तू चलता जा,
चलने से तेरा वास्ता।

चिलचिलाती  धूप खिली हो,
सर पर आग है बरस रहा।
तू रुकना मत, तू थकना मत,
तेरी आहट को कोई तरस रहा।

बाधाओं, अवरोधों से तुम,
जोड़ चलो एक रिश्ता।
राही  तू चलता जा,
चलने से तेरा वास्ता।

आंधी में, तूफानों में,
नीरव वन में, सिंह - गर्जन हो।
साथी रुकना नहीं तुम्हें,
भले तड़ित-वाण वर्षण हो।

यादें अपने परिजनों की,
लाद चलो ना जैसा बस्ता।
राही तू चलता जा,
चलने से तेरा वास्ता।

सत्य शपथ  ले, चले चलो तुम,
विजयपथ पर बढे चलो तुम।
अशुभ संकेतों से निडर हो,
रश्मिरथ पर चढ़े चलो तुम।

तन बज्र -सा, मन संकल्पित,
झंझावातों में समरसता।
राही तू चलता जा
चलने से तेरा वास्ता।


©ब्रजेन्द्र नाथ मिश्र
   जमशेदपुर, तिथि : मई, 2016.


इस कविता को मेरी आवाज में मेरे यूट्यूब चैनल "marmagya net" के इस लिंक पर सुनें। कमेंट बॉक्स में अपने विचार अवश्य लिखें। आपके विचार मेरे लिए बहुमूल्य हैं।

Link: https://youtu.be/zxdTXPQfEQM




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