#galwanvalley
#indochinesestandoff#laddakhstandoff
चीन के साथ गलवान में गतिरोध
बर्फीली घाटी को तुमने स्याह किया
बहती शांत नदी को तुमने दाह दिया।
मेरे अंदर जगा दिया भीषण तूफानों को,
बदला लूंगा जितना तुमने आह दिया।
लद्दाख सीमा पर दुस्साहस दिखलाया
निशा-प्रहर में घुसने का साहस दिखलाया।
चौकस था मैं, भाँप रहा तेरी चालों को,
सिंह - गुफा में जाकर अनायास जगाया।
अब तू देखेगा हिंदी तोप - दहानों को,
तू देखेगा पवि से घहराते उड़ानों को।
बीस सैनिकों को तुमने है शहीद किया,
अब मारूंगा तेरे अगनित जवानों को।
युद्ध के बादल घन मंडल में मंडरायेंगे,
नक्षत्र, गगन भी लाल, दिशाएं टूटेंगी।
भीषण आयुध का होगा वर्षण तुम पर,
तेरी हठधर्मी से तकदीर धरा की फूटेगी।
चोटी का सूरज दिखेगा लाल वहां
नीले अम्बर में टूटेंगे तारे अनगिन।
तब महाविनाश का नाचेगा काल वहां,
तू बैठ बिताएगा रण में लाशें गिन गिन।
मैं अपनी कलम से श्रृंगार नहीं लिखूँगा,
मैं अपनी कलम का आचार बदल दूँगा।
आज से प्रेम का व्यापार नहीं लिखूंगा,
मैं अपनी कलम का व्यवहार बदल दूँगा।
रचनाओं में कलम को अंगार बनाऊंगा।
सेनानी के लिये इसे हथियार बनाऊंगा।
बून्द लहू की गिरी वहां जिस चोटी पर
गाड़ तिरंगा जीत का त्यौहार मनाऊंगा।
शोणित की स्याही में चलकर
सृजन का आकाश बदलता है।
जब आग कलम को लगती है,
तब ही इतिहास बदलता है।
बर्फीली घाटी को तुमने स्याह किया
बहती शांत नदी को तुमने दाह दिया।
मेरे अंदर जगा दिया भीषण तूफानों को,
बदला लूंगा जितना तुमने आह दिया।
लद्दाख सीमा पर दुस्साहस दिखलाया
निशा-प्रहर में घुसने का साहस दिखलाया।
चौकस था मैं, भाँप रहा तेरी चालों को,
सिंह - गुफा में जाकर अनायास जगाया।
अब तू देखेगा हिंदी तोप - दहानों को,
तू देखेगा पवि से घहराते उड़ानों को।
बीस सैनिकों को तुमने है शहीद किया,
अब मारूंगा तेरे अगनित जवानों को।
युद्ध के बादल घन मंडल में मंडरायेंगे,
नक्षत्र, गगन भी लाल, दिशाएं टूटेंगी।
भीषण आयुध का होगा वर्षण तुम पर,
तेरी हठधर्मी से तकदीर धरा की फूटेगी।
चोटी का सूरज दिखेगा लाल वहां
नीले अम्बर में टूटेंगे तारे अनगिन।
तब महाविनाश का नाचेगा काल वहां,
तू बैठ बिताएगा रण में लाशें गिन गिन।
मैं अपनी कलम से श्रृंगार नहीं लिखूँगा,
मैं अपनी कलम का आचार बदल दूँगा।
आज से प्रेम का व्यापार नहीं लिखूंगा,
मैं अपनी कलम का व्यवहार बदल दूँगा।
रचनाओं में कलम को अंगार बनाऊंगा।
सेनानी के लिये इसे हथियार बनाऊंगा।
बून्द लहू की गिरी वहां जिस चोटी पर
गाड़ तिरंगा जीत का त्यौहार मनाऊंगा।
शोणित की स्याही में चलकर
सृजन का आकाश बदलता है।
जब आग कलम को लगती है,
तब ही इतिहास बदलता है।
©ब्रजेंद्रनाथ मिश्र
पवि-वज्र, thunder bolt
मेरे यूट्यूब चैनल marmagya net के इस लिंक पर जाकर पूरी कविता मेरी आवाज में सुनें। चैनल को सब्सक्राइब करें, यह निःशुल्क है। कमेंट बॉक्स में अपने विचार अवश्य दें, आपके विचार मेरे लिए बहुमूल्य हैं। सादर!
Link: https://youtu.be/L8l0nCNcqNg
17 comments:
नमस्ते,
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" गुरुवार 18 जून 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
सादर नमस्कार,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार
(19-06-2020) को
"पल-पल रंग बदल रहा, चीन चल रहा चाल" (चर्चा अंक-3737) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है ।
…
"मीना भारद्वाज"
वाह! बहुत सुंदर।
वाह बेहतरीन रचना
वाह बेहतरीन रचना
आदरणीय रविंद्र सिंह यादव जी, मेरी रचना को "पांच लिंकों का आनंद" में शामिल करने के लिए हार्दिक आभार ! -- ब्रजेन्द्र नाथ
आदरणीया मीना भारद्वाज जी, नमस्ते ! मेरी रचना को कल (१९-०६-२०२० ) के चर्चा अंक ३७३७ में शामिल करने के लिए हार्दिक आभार ! मैं अवश्य शामिल होऊंगा ! --ब्रजेन्द्र नाथ
आदरणीय विश्वमोहन जी, मेरी इस रचना पर उत्साहवर्धक टिप्पणी के लिए ह्रदय तल से आभार ! मैं आपके ब्लॉग का यूआरएल अपने ब्लॉग के रीडिंग लिस्ट में डाल रहा हूँ। आप भी मेरे ब्लॉग पर मेरी अन्य रचनाओं को पढ़कर अपने विचार अवश्य दें। आपके विचार मेरे लिए बहुमूल्य हैं। सादर ! --ब्रजेन्द्र नाथ
आदरणीया अनुराधा चौहान जी, मेरी रचना पर सकारात्मक और उत्साहवर्धक टिप्पणी देने के लिए आपका ह्रदय तल से आभार ! मैं आपके ब्लॉग का यूआरएल अपने ब्लॉग के रीडिंग लिस्ट में डाल रहा हूँ ताकि भविष्य में आपकी अन्य रचनाओं को भी पढ़ा सकूँ। आप भी मेरे ब्लॉग का URL : https ://marmagyanet.blogspot.com अपने रीडिंग लिस्ट में डाल दें। मेरी अन्य रचनाएँ भी पढ़ें और अपने विचारों से अवगत कराएं ! आपके विचार मेरे लिए बहुमूल्य हैं। सादर ! --ब्रजेन्द्र नाथ
चीन का दमन जरूरी है
बहुत बढ़िया
बहुत बढ़िया प्रस्तुति
आदरणीय हिंदी गुरु जी, नमस्ते! सटीक और सार्थक सराहना के लिए ह्रदय तल से आभार ! आपका ब्लॉग मैंने अपने रीडिंग लिस्ट में ऐड कर दिया है। अब आपके प्रोफाइल की रचनाएं मैं मैं पढ़ सकता हूँ।
आप भी मेरे ब्लॉग का एड्रेस का यूआरएल marmagyanet.blogspot.com अपने रीडिंग लिस्ट में ऐड कर दें। इसी ब्लॉग में मेरी अन्य रचनाये पढ़ें और अपने विचार अवश्य दें। आपके वचार मेरे लिए बहुमूल्य हैं। सादर ! --ब्रजेन्द्र नाथ
वीररस पर ओजमय आह्वान करती अभिनव अभिव्यक्ति।
बहुत सुंदर वीररस की ,आह्वान करती ओजमय अभिव्यक्ति।
आ कुसुम कोठारी जी, सराहना के लिए हार्दिक आभार ! मन में जो रोष और आक्रोश था, उसी को अभिव्यक्त करने की कोशिश की है। आप मेरे ब्लॉग की अन्य रचनाएँ भी अवश्य पढ़ें। आप मेरा ब्लॉग marmagyanet.blogspot.com को अपने रीडिंग लिस्ट में अवश्य डाल दें। आपके विचार मेरे लिए बहुमूल्य हैं। -- ब्रजेंद्रनाथ
सुंदर ओजपूर्ण वीर रस से भरी हुई+ भावाभिव्यक्ति....
आदरणीय विकास नैनवाल "अंजान" जी,आपके सकारात्मक और उत्सावर्धक उदगारों से सृजन की नई प्रेरणा मिलती है। आपका हृज़ाय तल से आभार! आप मेरे ब्लॉग
marmagyanet.blogspot.com पर मेरे ब्लॉग की रचनाएं पढ़कर अपने विचार अवश्य दें। आपके विचार मेरे लिए बहुमूल्य हैं। सादर!--ब्रजेंद्रनाथ
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