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Wednesday, August 1, 2018

अमेरिका डायरी 08-07-2018, इरवाइन (यु एस ए ंंमे पांचवां दिन)

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08-07-2018, रविवार, इर्वाईन (यु एस ए में पाँचवाँ दिंन)
कल की पार्टी में लेट नाइट तक जागरण के कारण, आज सुबह विलम्ब से जागना हुआ।
आज रविवार और चिन्मय की सप्ताहांत छुट्टी होने से उसके साथ ही सभी लोग रेलैक्श थे। खाना कुछ रात का बचा हुआ और कुछ ताजा तैयार कर लिया गया। इसतरह खाना बनाने के झंझट से दबाव मुक्त थे, सभी लोग। कहीं बाहर निकलने का अच्छा मौका था।
हमलोगों ने निर्णय लिया कि शाम को "वूड ब्रिज लेक" चला जाय। हमलोगों ने ओक ग्लेन अपार्टमेंट से बाहर निकल कर दाहिनी ओर की सडक पकड़ी। थोड़ी देर ड्राइव के बाद सिग्नल से बायीं ओर मुडकर बर्रन्का पार्क वे से होते हुए, क्रीक रोड सिग्नल से दाहिने मुड़कर, 10 मिनट में वूड ब्रिज लेक साइड में पहुँच गये। यह एक सुन्दर, बहुत अच्छी तरह से देखभाल कर सुरक्षित किया हुआ लेक है। चारो तरफ ओक पेड़ों की कतार से लगी हरी हरी घास, करीने से तराशा हुयी , जैसे हरियाली के बीच से नीले जल से भरा हुआ बड़े कटोरे जैसा झील प्रकट हो गया हो। जल पर तैरती बत्तखों की कतारे झील के नैसर्गिक सौन्दर्य में चार चाँद लगा रहे थे। जैसे - जैसे झील पर शाम उतरती जा रही थी, किनारे के होटलों के लैम्पों की रोशनी झील की शांत सतह पर सुनहरी रेखायें खींच दे रही थीं। मेरी कल्पना के उड़ान ने मेरे कवि मन को कुछ ऐसे भावों से भर दिया कि ये पन्क्तियाँ मेरे मन-मस्तिष्क में छा गयीं और खुद-ब-खुद उभरकर आ गयी :

जल का विस्तार लिये है यहां पर झील।
घोल दी हो किसी ने कुदरती सी नील।।

हरी हरी घास से निकला जल का कटोरा है,
झील सुंदरी ने फैलाया सौन्दर्य का सवेरा है।

बत्तखों की पन्क्तियाँ, जल तल पर तैरती हुई।
किसके बच्चे के घर में लोरी सुनाने जा रही?

बच्चे आते बत्तखों संग खिलखिलाने के लिये।
माता पिता आते सुकून के पल बिताने के लिये।

झील के चारो ओर भ्रमण पथ है फैला हुआ।
जल राशि को छूकर ही मन चैन पाता है यहाँ।

जल राशि पर रोशनी की कतारें थिरकती हुई।
विद्युत स्तम्भों की सुनहरी रेखायें चमकती हुई।

08-07-2018, ब्रजेन्द्रनाथ

मुझे यहाँ लग रहा है कि एक नया संसार रचा हुआ है। चारो ओर रिहायशी इलाके हैं। झील के किनारे कुछ होटल भी हैं। फिर भी झील के किनारे या कहीं भी कचरे का नामोनिशान नहीं है। यह तो मेरे लिये हैरानी की बात है। मैं श्रीनगर का डल झील देखकर आ रहा हूँ। उससे फैलाव में तो इस झील की कोई तुलना नहीं है। परन्तु सफाई और रखरखाव में डल झील इसके आगे कहीं नहीं ठहरता।
वूडब्रीज लेक के बारे में कुछ जानकारियाँ, जो मालूम हुयी हैं, उसे मैं साझा करना चाहता हूँ। यह लेक दो झीलों, उत्तरी और दक्षिणी झील का एकीकृत नाम है। इसका नाम वूड ब्रिज इसे लकड़ी के पदातिक पुलों से जोडने के कारण पड़ा है। झील का रखरखाव "लेक अस्सोसियेशन" द्वारा किया जाता है। उत्तरी झील 30 एकड़ और दक्षिणी झील 24 एकड़ में फैली है। झील की अधिकतम गहराई 10 फीट है।
झील की सतह पर कोई भी तैरता कचरा रखरखाव के लिये तैनात स्कीमर नावों द्वारा तुरत हटा दिया जाता है। झील के जाल का रसायनिक परीक्षण निश्चित समय सीमा पर रेगुलर किया जाता हौ ताकि जल जीवों के जीवन पर कोई खतरा ना आये।
घरेलू इश्तेमाल के बाद साफ किया गया जल और आसपास की ढलानों से एकत्रित जल इस झील के मुख्य जल श्रोत हैं। गर्मियों में क्लोरीन परिशोधित जल राशि लगून यानि खलीज या समुद्र से आये जल के परिशोधन कुण्ड के जल से इस झील में छोड़ी जाती है।
झील में शैवालों (Algae) का फैलाव रोकने के लिये रसायनिक रंग छोड़े जाते हैं ताकि सूर्य की किरणों के प्रभाव होने वाले फोटो संश्लेषण (photo synthesis) की क्रिया को धीमा करके शैवालों के विकास को नियन्त्रित करके कम किया जा सके। गोल्डेन अल्गी यहाँ काफी पाया जाता है। वैसे यह मनुष्यों के लिये नुकसानदेह नहीं है, लेकिन यहाँ के जल जीवों के लिये हानिकारक है। उन्हें रोकने के लिये यह प्रक्रिया आवश्यक है।
इस झील के एक किनारे बालुका राशि को जमा कर समुद्री किनारे का फील दिया गया है। वहां लेक संघ के सदस्य और उनकी अनुमति से लोग बीच का आनन्द ले सकते हैं। यहाँ आम लोगों को तैरना और मछली मारना मना है। सिर्फ सदस्य गण ही आधिकारिक तौर पर इसके लिये अधिकृत हैं।
हमलोगों ने झील के हर कोने का परिभ्रमण किया। रात बढ़ती जा रही थी और उसी के साथ हमारा आनन्द भी। घर लौटना था वरना रात भर यहीं आनन्द मनाते हुये भी रात छोटी पड़ जाती।
क्रमशः 

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