Followers

Thursday, August 30, 2018

अमेरिका डायरी, इरवाइन, यू एस ए, 19 वाँ दिन (Day 19)

#BnmRachnaWorld
#americatourdiary





22-07-2018, इरवाइन, यु एस ए 19 वाँ दिन (Day 19)
आज पोते ऋषभ, पत्नी, चिन्मय और पुत्र वधु के साथ सोसायटी कैम्पस के अंदर ही, तरण-ताल (Swimming pool) जाना हुआ। ऋषभ अपने लाइफ जैकेट के साथ ताल में घुस गया। पीछे-पीछे चिन्मय को भी उतरना पड़ा। पत्नी भी ताल में उतरी। उससमय दिन के 12 बज रहे थे। मैं किनारे की टेबल पर बैठा ताल के नीले जल में उनलोगों की और खासकर ऋषभ की जल कीड़ा देखता रहा। कुछ और बच्चे भी ताल में कूदकर जल-क्रीड़ा कर रहे थे। उन्हें खुश देखकर मुझे भी खुशी हो रही थी। ऋषभ ताल से निकलना नहीं चाह रहा था। काफी रो रहा था। एक तरह से जबर्दस्ती ही उसे वहाँ से निकालकर घर लाना पड़ा।
दोपहर के भोजन और थोड़ा  विश्राम के बाद हमलोगों का Chino Hills स्थित BAPS ( Bochasanwasi Shri Akshar Purushottam Swaminarayan Sanstha) द्वारा संचालित स्वमीणारायण मन्दिर जाना हुआ। हमलोग यहाँ से 5:20 बजे अपराह्न कार द्वारा Chino  Hills के लिए प्रस्थान किए। मैं, पत्नी, चिन्मय, बहू और पोता ऋषभ सभी साथ में चले। ऋषभ कार के  पीछे के एक स्पेशल बेबी सीट पर विराजमान थे। यहाँ बच्चे को अलग बेबी सीट पर बैठाकर सीट बेल्ट लगाकर ले जाना कानूनी रूप से जरूरी है, जिसका सभी पालन करते है। चिनो  हिल्स यहाँ से करीब 35 कि मी की दूरी पर दक्षिण-पश्चिम दिशा में Bernadino County, South California में स्थित है। यह मन्दिर हर धर्म और पंथ के लोगों के दर्शन के लिए खुला रहता है।
चौड़ी-चौड़ी सात-सात लेन  वाली सड़कों  से होते हुए, कई फ्लाई ओवर से गुजरते हुए वहाँ 7:10 बजे अपराह्न  पहुँचे। रास्ते में कई फोटोग्राफ और विडियो भी लिए। रास्ते पहाड़ों से होकर गुजर रहे थे। पहाड़ कम उँचे थे और उनपर हरियाली कम ही थी। धूप में गर्मी थी और भागते पहाडों के बीच से होते हुए रास्तों से नजारों का अवलोकन रोमांच भरा था। मन्दिर की पार्किंग में  गाड़ी खड़ी करके हमलोग मन्दिर के  प्रांगण की ओर बढ़े। भब्य लाल पत्थरों  से बना मन्दिर सूर्य की रश्मियों में दूर से ही चमक रहा था। जूते बाहर उतार कर मन्दिर के प्रांगण में  पहुँचते ही एक अनिर्वचनीय प्रशांति और निरभ्रता मिश्रित आध्यात्मिक अनुभूति का अहसास हो रहा था।
मन्दिर हिन्दुओं का पूजा स्थल होता है, जहाँ आध्यात्मिक शान्ति, ध्यान का केन्द्रीकरण और उर्जा का संचरण प्राप्त होता है। यह सामजिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक क्रियाकलापों का जीवन्त केंद्र होता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार मन्दिर नदियों के मिलन स्थल, नदी के  किनारे, सरोवर के किनारे, पहाड़ों के ऊपर वृक्षों से घिरे वादियों में  बनाया जा सकता है। मन्दिर में अर्ध मंडप, मंडप, महामंडप, पूर्व गर्भगृह, गर्भगृह, प्रदक्षिणा, गुम्बद और ध्वज मुख्य अंग होते हैं।
यह मन्दिर दुनिया का पहला भूकम्प अवरोधी (Earthquake resistant) मन्दिर है। इसका निर्माण कार्य सितम्बर 2005 में शुरु हुआ और 2012 में पूर्ण हुआ। 20 एकड़ की जमीन पर बने इस मन्दिर में सांस्कृतिक केंद्र, जिम्नाजियम, योग तथा ध्यान के अभ्यास के लिये क्लास रुम है। प्रांगण में 91 फीट के कमल के आकार का सरोवर भी है। इसमें अनुमानत: 900 भारतीय-अमेरिकियों की दूसरी पीढी के स्वयंसेवकों सहित 1.3 मिलियन श्रम घन्टे इस मन्दिर के निर्माण में ब्यतीत हुए। यह मन्दिर सौर उर्जा द्वारा विद्युत उत्पादन कर पर्यावरण पर पड़ने वाले दुष्प्रभाओं को भी कम करने में अपना योगदान दे रहा है। इस सौर उर्जा से करीब 1556 टन CO2 उत्सर्जन जो 62,244 वृक्षों को 25वर्ष तक लगाने के बराबर होता है, कम करता है।
इस मन्दिर के इतिहास पर अगर नजर डालें तो पता चलेगा कि शुरुआती दौर में इस मन्दिर के लिए जमीन प्राप्त करने में यहाँ के निवासियों को आश्वस्त करना कठिन कार्य था। साथ ही यहाँ के स्थानीय पंचायत या म्युनिसिपलिटी से भी समर्थन प्राप्त करना आवश्यक था। BAPS प्रमुख स्वामी महाराज के हर वर्ष यहाँ आगमन से मन्दिर निर्माण के प्रयास को बल मिलता रहा। जमीन के लिये Chino  Hills के 71 नम्बर की फ़्री वे के पास की जमीन की अनुशंसा स्वामी महाराज ने की थी। वहाँ के उससमय के मेयर लार्सन ने इसलिए विरोध किया था कि चिनो  हील्स के छोटे से कम्युनिटी में क्यों इस तरह का एक केंद्र स्थापित किया जाय, जहाँ शैलानियों का आना जाना बढ़ जायगा, जिससे आतंकी गतिविधियों की भी आशंका हो सकती है। बाद में स्वयंसेवकों द्वारा स्थानीय लोगों को आश्वस्त करने के  बाद उनका इस मन्दिर के निर्माण के लिए लिया गया, जिसमें उन्होने इसके लिए सहमति दी। इसके बाद ही मन्दिर का निर्माण कार्य आरम्भ हो सका। इन्हीं चर्चाओं के दौर में मन्दिर की अधिकतम ऊँचाई 78 फीट तय कर दी गयी।
इस मन्दिर का निर्माण 900 स्वयमसेवकों द्वारा सन 2004 में शुरु किया गया। इसमें करीब 35000 इटालियन Carraraa marble और Indian Pink Sandstone के प्रस्तर खंडों को हाथ से काटकर और छील कर बारीक नक्काशी की गयी। इसमें 5 शिखर, कन्गूरा या कलश (pinnacle), 2 बड़े गुंबद, 4 बाल्कोनी, 122 स्तम्भों और 129 महराब (archways), स्थित हैं। बाहरी दीवारों से लेकर भीतरी स्तम्भों (pillars), और छतों (ceillings) में सूक्ष्म नक्काशी किए हुए प्रस्तर-खण्ड लगे हैं। करीब 6600 हस्त शिल्पियों द्वारा की गयी नक्काशी में प्रेरणा, समर्पण और आस्था के साथ ऐतिहासिक तथ्यों को सूक्ष्मता से उकेरा गया है। इन सारे प्रस्तर खंडों को हिदुस्तान में बनाया गया और उसे अच्छी पैकिंग  में डालकर, यहाँ जहाज द्वारा लाया जाकर,  असेम्बल किया गक़या।
हमलोग मन्दिर के मुख्य द्वार से अंदर पूर्व मंडप और मंडप से होते हुए गर्भगृह के सामने पहुँच गए। स्तम्भों की नक्काशीदार प्रस्तर खंडों को पारदर्शी शीशे के आवरण मनुष्य की उँचाई, यानि करीब सात फीट तक ढंक हुआ है, ताकि लोग पत्थरों को हाथों से छूकर मलिन न कर दें। मन्दिर के अंदर कैमरा का प्रयोग वर्जित था, इसलिए अंदर की तस्वीरें नहीं ली जा सकीं। मन्दिर के अंदर शान्त वातावरण था। वहाँ राम-सीता, राधा-कृष्ण, शिव पार्वती की प्रतिमाओं के अतिरिक्त परमपूज्य स्वामीनारायण की मूर्ति मुख्य स्थान पर तथा अन्य स्थानों पर उनके अन्य उत्तराधिकारियों की मूर्तियाँ लगी थी। हमलोग 7:10 में शाम की ( हालांकी उससमय काफी रोशनी थी) आरती में शामिल हुए। सभी लोग पक्ति बद्ध होकर वहीं कार्पेट पर बैठे रहे। आठ बजे तक संस्कृत काए श्लोकों और गुजराती में आरती होती रही। स्वयंसेवक शान्ति बनाये रखने काए लिए इशारे करते रहे। आरती सब ओर दिखाये जाने के बाद, सभी भक्तों के सामने लायी गयी। हमलोगों ने भी आरती ली। कई लोग डालर में दान भी दिये।
वहाँ से हमलोग मन्दिर के निचले तल में गए। वहाँ मन्दिर काए बारे में एक प्रृदर्शिनी लगाई हुयी थी। इसमें मन्दिर के निर्माण से लेकर अबतक की कहानी चित्रों द्वारा दर्शायी गई थी। इसमें मन्दिरों के निर्माण के वास्तु शिल्प के बारे में भी बताया गया था। इसमें मन्दिर का महत्व, मूर्ति काए अभिषेक, पूजा-अर्चना और आरती काए महत्व काए बारे में दृश्य-श्रब्य माध्यम से टी भी स्क्रीन पर दिखाया जा रहा था। सबकुछ निश्चित पद्धति काए अनुसार सिलसिलेवार ढंग से प्रदर्शित किया गया था। मन्दिर में लम्बी पक्तियाँ और आपाधापी तथा शोरगुल का अभाव था, जिसे हमलोग भारत के मन्दिरों में देखते रहे हैं। पूरा वातावरण अद्भूत नीरवता और संपूर्णता लिए हुए था। हमलोग 8:30 बजे वापस चले तो हल्की-हल्की रोशनी भी थी। बाहर के जलपान गृह में हिन्दुस्तानी और गुजराती मिठाइयाँ सहित ढोकले सजे हुए थे। हमलोग श्रीखंड खरीदे। वहाँ से 9 बजे चलकर 45 मिनट में  वापस घर आ गए।
क्रमश:

No comments:

माता हमको वर दे (कविता)

 #BnmRachnaWorld #Durgamakavita #दुर्गामाँकविता माता हमको वर दे   माता हमको वर दे । नयी ऊर्जा से भर दे ।   हम हैं बालक शरण तुम्हारे, हम अ...